For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं (ग़ज़ल "राज")

रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं (ग़ज़ल "राज")

२ १ २ २  २ १ २ २  २ १ २ २  २ १ २ २ 

बहर ----रमल मुसम्मन सालिम

 रदीफ़ --हम देखते हैं 

काफिया-- इयाँ 

आज क्या-क्या जिंदगी के दरमियाँ हम देखते हैं 

जश्ने हशमत या मुसल्सल  पस्तियाँ हम देखते हैं 

 

खो गए हैं  ख़्वाब के वो सब जजीरे तीरगी में 

गर्दिशों  में डगमगाती कश्तियाँ हम देखते हैं 

 

ख़ुश्क हैं पत्ते यहाँ अब यास में डूबी फिजाएं 

आज शाखों से लटकती बिजलियाँ हम देखते हैं 

 

आबशारों का तरन्नुम गुम हुआ जाने कहाँ अब 

तिश्नगी में फड़फडाती मछलियाँ हम देखते हैं 

 

बह गए मिलकर सभी पुखराज गिर्दाबे अलम में

बस किनारों पर सिसकती सीपियाँ हम देखते हैं 

 

आज होठों की तबस्सुम खो गई जाने कहाँ पर 

सख्त चहरों पर सभी के तल्खियाँ  हम देखते हैं  

क्या ख़बर तेज़ाब की शीशी कहाँ किस हाथ में हो 

रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं 

 

“राज” तेरे  शह्र  पर ये छा  गई कैसी घटायें

हर कदम पे अब धुएं की चिमनियाँ हम देखते हैं 

                                     राजेश कुमारी "राज" 

****************************************      

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

जश्न ए हशमत--- गौरव का उत्सव 

पस्तियाँ--- पराजय 

यास----- गम ,उदासी 

तीरगी------ अँधेरे 

आबशारों---- झरने 

तिश्नगी----- प्यास 

गिर्दाबे अलम------ गम के भंवर 

तल्खियाँ-----  उदासी ,चिंताएं 

Views: 1191

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2013 at 7:45pm

प्रिय  राम शिरोमणि पाठक जी  ग़ज़ल आपको पसंद आई आपकी प्रतिक्रिया के लिए  दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2013 at 7:43pm

प्रिय  अरुन  शर्मा अनंत जी ग़ज़ल के सभी अशआर आपको पसंद आये इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2013 at 7:42pm

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ग़ज़ल आपको पसंद आई आपकी बधाई दिल से स्वीकार 

Comment by ram shiromani pathak on July 10, 2013 at 5:31pm

क्या ख़बर तेज़ाब की शीशी कहाँ किस हाथ में हो 

रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं ///////वाह वाह आदरणीया

आदरणीया राजेश कुमारी  जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है //हार्दिक बधाई 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 10, 2013 at 5:10pm

वाह वाह आदरणीया क्या कहने बेहतरीन ग़ज़ल हुई है सभी अशआर शानदार कहे हैं आपने मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by मोहन बेगोवाल on July 10, 2013 at 4:38pm

आदरणीय राजेश जी .

यूँ तो गज़ल के सभी शेर लाजवाब , मगर ये शेर मुझ को बहुत अच्छा लगा -

आज होठों की तबस्सुम खो गई जाने कहाँ पर 

हर किसी के चेहरे पर तल्खियाँ हम देखते हैं 

बधाई कबूल करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2013 at 1:57pm

राजेश कुमार झा जी उर्दू के शब्द मैं अपनी ग़ज़ल में बहुत कम प्रयोग करती हूँ ये पहली बार कुछ ऐसे शब्द डाले जिसकी मैंने बहुत जरूरत समझी तथा सरलता के लिए अर्थ भी दिए आपको पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया आपका मशविरा अगली बार ध्यान रखूंगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2013 at 1:54pm

आदरणीय कुंती जी सादर आभार आपका ग़ज़ल के मर्म को महसूस किया 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 10, 2013 at 1:35pm

रचना काफी सुंदर एवं शानदार है और इसका पूरा लुत्‍फ भी मैंने उठाया परंतु अर्थों की मारकाट में बड़ा घायल हुआ, गज़ल काफी अच्‍छी हुई तो चिकनाहट भी अच्‍छी होनी चाहिए । यानि सरल शब्‍द आप रखें ताकि माने अलग से ना पढ़ना पड़े, सादर

Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 1:15pm

एक कड़वा सत्य.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service