For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जेठ को दोषी पाया-

तपत तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल ।

ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल ।

ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया ।

अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया ।

कर घन-घोर गुहार, पार करवाती नैया ।

तनमन जाय अघाय, काम रत तपत तलैया ।

तक=देखकर

 मौलिक अप्रकाशित-

 

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 6:03pm

ताल और जेठ के अद्भुत श्लेष के कारण कुण्डलिया प्रभावी बन पड़ी है. अनुप्रास का महातम तो सर चढ़ कर बोल रहा है. कथ्य भी सधा हुआ है और तार्किक है.

शिल्प के लिहाज से इस उन्नत छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय रविकर जी.. .

शुभम्

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 26, 2013 at 2:48pm

मजेदार! मूल भी संशोधित रूप भी!

Comment by coontee mukerji on June 25, 2013 at 5:09pm

बहुत सुंदर लिखा है रविकर जी.

Comment by रविकर on June 25, 2013 at 8:21am

 आभार प्रिय अरुण जी -आदरणीय केवल प्रसाद जी आभार -

 

यह ठीक है क्या आदरणीय -

भाव का अभाव तो नहीं हैं ना - 

सादर 

दोहा 

तप्त-तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल । 

ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल । 

रोला

ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया । 

अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया । 

कर घन-घोर गुहार, पार करवाती नैया । 

तनमन जाय अघाय, काम रत तप्त-तलैया । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 10:55pm

आदरणीय रविकर सर सादर प्रणाम अत्यंत सुन्दर मनोहारी कुण्डलिया छंद भीषण गर्मी को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने इस हेतु मेरी ओर से हार्दिक स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 24, 2013 at 8:31pm

आ0 रविकर जी, ‘तपत‘ और ‘तलैया‘ प्रथम और अन्तिम शब्द में समानता नहीं है और प्रथम चरण का प्रथम शब्द तीन मात्राओं का होने के कारण कुण्डलियां छन्द खारिज हो जाती है।
सुन्दर प्रयास हुआ है। शुभकामना स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service