For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम तुम्‍हारी कविता है

प्रेम तुम्‍हारी कविता है

और मेरा अहसास

रहते हैं कुछ ख्‍वाब पिरोए

दोनों दिल के पास

और अधर जब नीरव हंसते

साथ भींगती रात

बिंदिया पर बिखरे पड़े

सोते कुछ जज्‍बात

ऐसे में कुछ शब्‍द अचानक

गढ़ लेते कुछ रीत

सच कहता हूं ऐसे ही तो

बनते मेरे गीत

वक्‍त मिले तो पढ़ना उनको

और लगे जो खास

रख लेना ताबीज समझकर

उनको अपने पास

नहीं जानता किस मुकाम पर

रुक जायेंगें पांव

कहां गगन ये विस्‍मृत होगा

कहां छले ये छांव

(पूर्णतया मौलिक एवं अप्रकाशित)

 

 

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on November 28, 2013 at 9:57pm

वक्‍त मिले तो पढ़ना उनको

और लगे जो खास

रख लेना ताबीज समझकर

उनको अपने पास

नहीं जानता किस मुकाम पर

रुक जायेंगें पांव

कहां गगन ये विस्‍मृत होगा

कहां छले ये छांव........................wah .....shabd shabd .....par rukne ka man karta hai ......bahut bahut sunder rachna hetu bhadhayiyan

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 11:29am

आप सबका हार्दिक आभार

Comment by D P Mathur on June 15, 2013 at 8:41pm

रहते हैं कुछ ख्वाब पिरोए
दोनों दिल के पास
प्रेम की सुंदर रचना 

Comment by ram shiromani pathak on June 15, 2013 at 7:19pm

सुंदर रचना आदरणीय राजेश जी //////बधाई आपको!

Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 7:02pm

हमेशा की तरह आपकी  एक और सुंदर प्रस्तुति . ...प्रेम की सुंदर भावनाओं को  मोती की तरह पिरोते हुए आपने दार्शनिक ही ढंग से इसका

अंतिम पंक्ति  को  विराम दिया है.....

रुक जायेंगें पांव

कहां गगन ये विस्‍मृत होगा

कहां छले ये छांव..........सादर /  कुंती.

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:32pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....बधाई आप को 

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:29pm

ऐसे में कुछ शब्‍द अचानक

गढ़ लेते कुछ रीत

सच कहता हूं ऐसे ही तो

बनते मेरे गीत

 

अतिसुंदर भाव /हार्दिक बधाई  

Comment by Shyam Narain Verma on June 15, 2013 at 12:58pm

आदरणीय...उम्दा रचना के लिए शुभकामनाऐं.........................

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 8:56am

आ0 राजेश भाई जी,  अतिशय सुन्दर भाव भरा गीत ।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Abid ali mansoori on June 15, 2013 at 8:45am
एक सुन्दर एहसास से भरी रचना आदरणीय राजेश जी बधाई आपको!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service