For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी यादोँ के सिलसिले!

तुझे पाने की जुस्तजू मेँ
तेरा एहसास लिए,
रोज लड़ता हूं मैँ
तन्हाइयोँ से अपनी,
चाहत की रहगुजर पर,
अक्सर दे जाते हैँ
ग़म की सौगात,
और हवा मेरे जख्मोँ को,
कितने संगदिल हैँ
यह
तेरी यादोँ के सिलसिले!
(मौलिक व अप्रकाशित)
__आबिद अली मंसूरी

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 2:42pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 6, 2013 at 2:21pm

सुंदर प्रस्तुति 

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 9:41pm
आदरणीय भाई संदीप जी हार्दिक आभार,आशा है आगे भी मार्गदर्शन करते रहेँगे,आपके स्नेह के लिए पुनःआभार!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:33pm

बहुत सुन्दर वाह क्या बात है 

इस सुन्दर शब्द्संयोजन और भावों के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकारें आदरणीय

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 10:51am
Aadarniye laxman ji bahut khushi huyee aapki tippani pakar,haardik abhaar aapka...
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 9:50am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई श्री आबिद अली जी 

Comment by Abid ali mansoori on June 4, 2013 at 10:14pm
आदरणीया गीतिका 'वेदिका जी, बहुत-बहुत हार्दिक आभार इस दिली बधाई के लिए,आगे भी आपकी कीमती टिप्पणियोँ की अपेक्षा रहेगी,धन्यवाद!
Comment by वेदिका on June 4, 2013 at 9:26pm

सुंदर प्रयास जनाब आबिद अली जी! 
कितने संगदिल हैँ
यह

तेरी यादोँ के सिलसिले!
दिली शुभकामनाये  
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 4, 2013 at 7:57pm
"आदरणीय...आबिद साहब, आभार आपका "
Comment by Abid ali mansoori on June 4, 2013 at 6:48pm
Aadarniye ram shiromani ji hardik abhaar aapka..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service