For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझसे कभी तू रूठ न जाना

"ऐ चांदनी मेरी ,
मुझसे तू कभी रूठ न जाना

खोई सी हैं धड़कनें तुझमें
मुंसलिक मेरी साँसें तुझसे
महफ़िल में ख्वाबों के
तन्हा कितना दिल ये
छिप के यूँ चिलमन में तू
कभी न मुझको तड़पाना
ऐ चांदनी मेरी ,
मुझसे तू कभी रूठ न जाना

हिना की खुशबू में तू
ढल के मेरे घर आना
पाज़ेब की सरगम बन
दिल में तू बस जाना
ख्यालों के दरीचों से तू
सिरहाने कभी उतर आना
ऐ चांदनी मेरी ,
मुझसे तू कभी रूठ न जाना

पूरे चाँद की रातों में
मेहँदी रचा के हाथों में
सजा के सपने आँखों में
दरमयाँ इन बाँहों के
कभी तुम गुम हो जाना
न कर बहाने अब तू जानाँ
ऐ चांदनी मेरी ,
मुझसे तू कभी रूठ न जाना''

~~~ चिराग़

May 10,2012 

"पूर्णतः मौलिक एवम् अप्रकाशित''

Views: 381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kedia Chhirag on May 17, 2013 at 4:29pm

आप सभी ने अपने आशीर्वचनो से मेरा बहुत उत्साह वर्धन किया ...ह्रदय से बहुत बहुत आभार ......

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 8:33pm

सुन्दर रचना आदरणीय चिराग जी.

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 9:15pm

चिराग भाई जी,  बहुत सुन्दर।  

Comment by Roshni Dhir on May 13, 2013 at 8:44pm

अच्छा लिखा आपने ...सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 4:30pm

सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सस्नेह बधाई स्वीकार करें 

Comment by shalini kaushik on May 13, 2013 at 12:23am

 बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 12, 2013 at 12:55pm

आ0 चिराग भाई जी,  बहुत सुन्दर।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service