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Roshni Dhir
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अपने बारे में हम कहाँ कुछ जानते है , लोगों से सुना है की कुछ हुनर और बहुत सी कमियां है मुझमे ...

Roshni Dhir's Blog

चरित्रहीन (लघु कथा)

आपका बेटा कहाँ है , हम उसे गिरफ्तार करने आये है .. अचानक पुलिस को देख कर माँ बाप घबरा गए,... मगर हमारे बेटे ने क्या किया है ????  ११ में पढ़ता है बहुत सीधा है .. जी आपके सीधे बेटे ने इक लड़की का रेप किया है .. कुछ ज्यदा ही सीधा है ... इतना कह कर पुलिस उसे अपने साथ ले गयी .. माँ बाप मानने को तैयार ही नहीं थे जरुर वो  लड़की ही बदचलन होगी ... उसने ही फँसाया होगा मेरे भोले भाले बेटे को .. चलो जी अभी बेटे को वापस ले के आयेगे .. पुलिस स्टेशन पर उस लड़की के माँ बाप रो रहे थे | तभी लड़की की…

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Posted on September 3, 2013 at 2:00pm — 15 Comments

अब नहीं आयेगी बेटी

बेटियों पे कब तलक बस यूँ ही लिखते जाओगे, 

कब हकीकत की जमीं पर आ के उन्हें बचाओगे... 



क्यों नहीं उठते हाथ और क्यों न करते सर कलम,

और कितनी दामिनीयों के लिए मोमबतियां जलाओगे... 

आज कहते हो की प्यारी होती है सब बेटियां, 

खुद मगर कब बेटों की चाह से निजात पाओगे... 

जानवर से इंसान बना और फिर भी रहा जानवर, 

जिस्म मानव का है पर कब इंसानी रूह लाओगे... 

छु रही है आसमां आज की सब लड़कियां, 

इस जमीं को कब उसके चलने लायक…

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Posted on June 6, 2013 at 4:46pm — 32 Comments

चाँद उदास था ....



कल चाँद बहुत उदास था 
तारे भी थे बुझे बुझे
हवा भी थी रुकी…
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Posted on May 13, 2013 at 6:47pm — 16 Comments

इम्तिहान

इश्क के इम्तिहान से सनम यूँ  घबरा गया,

छोड़ कर सागर मे कश्ती खुद किनारे आ गया ....



डूबने की चाहत उसे थी इश्क के दरियाओं मे ,…

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Posted on May 9, 2013 at 12:30pm — 16 Comments

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At 12:48pm on May 5, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

आपका हार्दिक स्वागत है, रौशनी जी. 

At 12:27pm on May 5, 2012, संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' said…

स्वागतम रोशनी जी! इस सुन्दर अपनत्व से भरे मंच पर आपका इस्तकबाल है|

 
 
 

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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