For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

और तू मेरी दुल्हन हो

"सावन की झम झम हो
पायल की छम छम हो
भीगा भीगा तन मन हो
कोई प्यार का सरगम हो
खोई खोई सी धड़कन हो
और तू मेरी दुल्हन हो

महका महका चन्दन हो
बहका बहका पवन हो
झूमा झूमा सा चमन हो
अधरों पे मधुर चितवन हो
झुके झुके से दो नयन हो
और तू मेरी दुल्हन हो

जुल्फ़ बिखरे बिखरे हों
चेहरे निखरे निखरे हो
लहरा लहरा आँचल तेरा
मचले मन ये चंचल मेरा
ख़्वाबों का कोई गुलशन हो
और तू मेरी दुल्हन हो

फूलों के सुंदर झूले हो
शोखी हर सिम्त घुले हो
दिल यूँ खिले खिले हो
बाद बरसों के ज्यूँ मिले हों
लफ्ज़ मेरे तेरा दर्पण हो
और तू मेरी दुल्हन हो

फ़लक पे महताब हो
मधुमास का शबाब हो
मुस्कुराते से ख्वाब हों
बाँहों में जमील सहाब हो
कोई क़माल ए सुखन हो
और तू मेरी दुल्हन हो''

~~~ चिराग 

May 11,2013 

 [ पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित ]

हर सिम्त - हर दिशा में
महताब - चाँद
जमील - सुंदर
सहाब - प्रेमी
क़माल ए सुखन - बेहतरीन कविता

 

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kedia Chhirag on May 17, 2013 at 4:28pm

स्नेहशीषों के लिए सभी गुरुवरों का बहुत बहुत आभार .....कृपया त्रुटियों की ओर भी ध्यानाकर्षण करवाएं ताकि मैं अपनी रचना के स्तर  को सुधार सकूँ ..बड़ी कृपा होगी .......

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 8:43pm

महका महका चन्दन हो 
बहका बहका पवन हो 
झूमा झूमा सा चमन हो 
अधरों पे मधुर चितवन हो 
झुके झुके से दो नयन हो 
और तू मेरी दुल्हन हो..........बहुत सुन्दर. 

Comment by seema agrawal on May 13, 2013 at 7:44pm

रचना प्रस्तुति के लिए बधाई चिराग जी ..हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2013 at 6:51pm

waah

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 4:23pm

सुन्दर ख्वाइश 

सस्नेह बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 13, 2013 at 10:23am

सुन्दर सजी हो

 नइ नवेली हो

सौलह श्रृंगार किय हो

ऐसे दुल्ल्हा हो, तो कोई बात बने, ऐसी ख्वाइश लिए सुन्दर शब्द लिए रचना के लिए बधाई श्री चिराग केडिया जी  

Comment by shalini kaushik on May 13, 2013 at 12:25am

 बहुत ही सुन्दर   सादर,

Comment by श्रीराम on May 12, 2013 at 7:48pm

गर्मी से राहत देती रचना 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 12, 2013 at 1:12pm

आ0 चिराग भाई जी, ‘‘फ़लक पे महताब हो
मधुमास का शबाब हो
मुस्कुराते से ख्वाब हों ‘‘बहुत-बहुत सुन्दर। बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service