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!!! जय जय हनुमान !!!
(मकरी - कालनेमि राक्षस का उध्दार)

तारक तात तड़ाग तरावहिं, तापर तोष तना तन तावत।
दीन दयाल दया दम दानव, देवम दामन दास दिलावत।।
धारति धाय धरा धन धानम, धूल धमाल धरे धड़कावत।
नारद नाच नरेन्द्र निहारत, नाथ नरायन नाम नसावत।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एव अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 26, 2013 at 6:25pm

आ0 सुरन्द्र वर्मा जी,   आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 10:24am

आ0 रक्ताले जी, सर जी, जी यह संक्षिप्त परिचय मुझे पहले ही देना चाहिए था। शिथिलता के लिए क्षमा चाहता हूं। आपका बहुत बहुत अभार। सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 25, 2013 at 8:08am

जानकारी साझा करने के लिए सादर आभार आदरणीय.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 24, 2013 at 10:49pm

आ0 रक्ताले जी,    यह कथा रामचरित मानस के लंका काण्ड की है। श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तो रावण ने कालनेमि नामक राक्षस को हनुमानजी का राह रोकने हेतु भेजा था।   यथा जब हनुमानजी वहां पहुचे तो कालनेमि ने हनुमान से कहा कि आप थक गये होंगे  पास के सरोवर में हाथ-मुंह धोकर थोड़ा आराम करलें।  हनुमान जी को यह बात जंच गई और वे जैसे ही सरोवर में गए,  उसमें एक मकरी ने हनुमानजी को खाने का प्रयत्न किया।  तभी हनुमानजी ने उसे मार गिराया। तब वह शापित मकरी मुक्त हो सुन्दरनारी बनकर कालनेमि राक्षस की धूर्त चाल के बारे में बताती है। यह जानने के बाद हनुमानजी ने तत्काल पहुचकर कालनेमि को भी स्वर्ग पहुंचा दिया।  इस प्रकार धरा पर रहने वाले दुराचारी और पापियों को तत्काल मोक्ष देते हुए ईश्वर के सानिध्य तक पहुंचाते हैं।  आलसी और धूर्त व्यक्ति तो सदा दूसरों पर आश्रित रहता है लेकिन श्रीहनुमानजी सदैव ही तत्परता से दास भाव होकर  सदगति का मार्ग सुझाते हैं।  आपके आशीश वचन हेतु हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2013 at 10:05pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर अच्छा सवैया लिखा है, इस मायाथालाजिकल घटना की जानकारी नहीं  होने से मैं उसका ठीक आनंद नहीं ले पाया मगर शिल्प पर सुन्दर कसा हुआ छंद. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 8:49pm

आ0 राम शिरोमणि जी, प्रिय मित्र! आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 8:45pm

बधाई इस सुन्दर रचना के लिए .आदरणीय भाई केवल प्रसाद जी //त द ध न का प्रयो अच्छा लगा //

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 8:39pm

आ0 श्याम नारायण जी,  आपका बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 12:17pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ......

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