For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

दिल दिल्ली का बहुत बड़ा, पाषाण हृदय है बहुत कड़ा।

(फिर भी) ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

ना कोई चिन्ता ना ग्लानि, ना करुणावश बिलखानी

नीति नैतिकता के ह्रास पर,अनामिका की लाश पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

बिसर गए कर्तव्यों पर, दिशाहीन वक्तव्यों पर,

नैतिकता के  द्वन्द्व पर, कुर्सी खातिर रचे फन्द पर

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

पूर्वोत्तर जातीय उन्माद पर, गुडियाओं के आर्तनाद पर,

सिद्धान्तहीन गठजोड़ों पर, अवसरवादी घोडो पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

अस्मत की बर्बादी पर, लूट अपहरण आदि पर

कत्ल होते परिवारों पर, संवेदनहीन आवारों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

अन्तहीन घोटालों पर, रक्षा सौदों के दलालों पर

बहुराष्ट्रवाद के पोषण पर, और स्वदेशी के शोषण पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

जातिवाद की रीतों  पर, अलगाववाद के गीतों पर

निर्दोषों के अन्तों पर, राजनीति के सन्तों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

प्रच्छन्न देह व्यापारों पर, सरे आम बलात्कारों पर

घायलों की चीत्कारों पर, खोखले विकास नारों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

पुलिस थानों के हाल पर, भुखमरी के सवाल पर,

सुरक्षा के बवाल पर, अधिकारीयों की चाल पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

जनाक्रोश अभिव्यक्ति पर, और पुलिस की सख्ती पर,

आकाओं की भक्ति पर, और विरोध की तख्ती पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

आचरण-मर्यादा के खून पर, राजनीति के जनून पर

सदनों की गरिमा गिराने पर, सत्य जनता से छुपाने पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

राष्ट्रसम्मान के समझौतों पर, और क्रिकेट के न्योतों पर,

सीमा सैनिक की मौतों पर, राज कर रहे खोतों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

हाथबन्धे वीरों की मौतों पर, सुरक्षा में होते गोतों पर

नित होती जनधन हानि पर, बेशर्मी और लाचारी पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

तस्करी के ज़खीरों पर, राष्ट्रद्रोही तकरीरों पर

निर्दोष लहू की लकीरों पर, भावहीन तकरीरों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

दिशाहीन विद्वानों पर, देश बेचू नादानों पर

विघटनकारी मंत्रों पर,असुरक्षित गणतंत्रों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू

("मौलिक और अप्रकाशित")

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 24, 2013 at 10:42pm

आपकी रचना समय की मांग है। बधाई!

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2013 at 10:13pm

मार्मिक भावों से भरी  समसामयिक घटना पर लिखी सुन्दर रचना पर सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on April 24, 2013 at 3:11pm
डा॰ प्राची सिंह, राम शिरोमणिजी, गीतिकाजी, उषा तनेजाजी, राणा प्रतापजी, नादिर खानजी, और श्याम नारायणजी, आप सभी का एवं आगे भी उत्साहवर्धन करने वाले सभी विद्वतजनों को प्रणाम, आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 24, 2013 at 12:40pm

संवेदनशील सामयिक रचना के लिए बधाई आदरणीय सुरेन्द्र वर्मा जी 

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 8:42pm

हाथबन्धे वीरों की मौतों पर, सुरक्षा में होते गोतों पर

नित होती जनधन हानि पर, बेशर्मी और लाचारी पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

बहुत सुन्दर रचना बन पड़ी है आदरणीय //बधाई! 

Comment by वेदिका on April 23, 2013 at 8:08pm

इतने पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है अब भी दिल्ली न रोई तो फिर और क्या कहना होगा ....
कुछ नये शब्दों का प्रयोग भी मन को भाया // , देश बेचू नादानों पर//

अनामिका  से अभिप्राय दामिनी से होगा ...
सादर गीतिका 'वेदिका'

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 6:59pm

इस कृति के माध्यम से आपने लगभग हर पहलु पर थाप दी है. सफल रचना. बधाई! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 23, 2013 at 5:31pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपकी कही बात का सम्पूर्ण देश समवेत स्वर में गान कर रहा है| जनता की भावनाओं को स्वर देने के लिए आपको साधुवाद|

Comment by नादिर ख़ान on April 23, 2013 at 4:50pm

जातिवाद की रीतों  पर, अलगाववाद के गीतों पर

निर्दोषों के अन्तों पर, राजनीति के सन्तों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

प्रच्छन्न देह व्यापारों पर, सरे आम बलात्कारों पर

घायलों की चीत्कारों पर, खोखले विकास नारों पर,

ए दिल्ली थोड़ा रो दे तू!

सटीक रचना, वैसे सच कहें तो आज  पूरा देश रो रहा है।

 

Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 3:52pm

BAHOT KHOOB....................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
10 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service