For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी नींदों मे ख्वाब बन कर रहते थे,

वो तुम ही तो थे ,

जिसके सपने मेरी आँखों ने सँजोये थे,

वो तुम ही तो थे ,

जो रहता था मेरे दिल की किसी ,

गहराई मे , वो तुम ही तो थे,

जिसको पाने की इच्छा थी प्रबल,

वो तुम ही तो थे । 

जो रहता है मेरे अधरों की,

 मुस्कान बन कर , वो तुम ही तो हो,

जो रहता है मेरे हृदय की लहरों मे ,

अठखेलियाँ करते,

वो तुम ही तो हो

जीवन का संगीत सिखाया जिसने,

वो तुम तो हो ।

जीवन का  श्रंगार   हो तुम,

 बगिया के बागवान हो तुम,

स्नेह के रहनुमा हो तुम,

प्यार का पाठ हो तुम ,

मेरा  हो विश्वास तुम,

जो "नूतन" रहबर मेरा, वो  तुम ...............  हो।  

 

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on May 26, 2013 at 6:08pm

dhanyvad ,abhinav arun ji .

Comment by Abhinav Arun on May 26, 2013 at 1:17pm
सुन्दर भाव पूर्ण पंक्तियाँ बहुत सुन्दर रचना वाह -

जो रहता है मेरे अधरों की,

 मुस्कान बन कर , वो तुम ही तो हो,

जो रहता है मेरे हृदय की लहरों मे ,

अठखेलियाँ करते,

वो तुम ही तो हो

जीवन का संगीत सिखाया जिसने,

वो तुम तो हो ।

 क्या कहने बधाई !!

Comment by annapurna bajpai on April 21, 2013 at 7:58pm

आप सबका हार्दिक धन्यवाद .

Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:42pm

सुन्दर रचना/////// हार्दिक बधाई 

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 12:04pm

जो रहता है मेरे अधरों की,

 मुस्कान बन कर , वो तुम ही तो हो,

जो रहता है मेरे हृदय की लहरों मे ,

अठखेलियाँ करते,

वो तुम ही तो हो

जीवन का संगीत सिखाया जिसने,

वो तुम तो हो ।

स्वागत आदरणीय अन्नपूर्ण वाजपाई जी

Comment by shalini kaushik on April 17, 2013 at 1:03am
जो रहता है मेरे अधरों की,

मुस्कान बन कर , वो तुम ही तो हो,

जो रहता है मेरे हृदय की लहरों मे ,

अठखेलियाँ करते,

वो तुम ही तो हो

जीवन का संगीत सिखाया जिसने,

वो तुम तो हो ।

very nice feelings and presentation.
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 8:58pm

जिसे चाहा उसे पाया और दो मुसाफिर साथ साथ मंजिल की ओर चले. सुन्दर रचना आदरणीया अन्नपूर्णा वाजपेयी जी. सादर बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 8:04pm

बहुत प्रेमपूर्वक लिखी गयी नेह की पाती..

इन सुकोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति के इये हार्दिक बधाई प्रिय अन्नपूर्णा बाजपाई जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service