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पाक को चेतावनी....छंद कामरूप

यह देख दुनियाँ, खोल अंखियाँ, पाक की करतूत
गोली चलाता, बम गिराता, तानता बन्दूक
ये मान ले तू, जान ले तू, ना रहेंगे मूक
अब तू संभल जा, या बदल जा, कह रहे दो टूक


मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 2:32pm
सही कहा आपने आदर्णीय..... कुमारी जी...चरणांत गुरु लघु से होता है .......वेदिका जी इस बात पर ध्यान दीजिएगा.....गलती सुधारने के लिए आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 2:00pm

चरणान्त  गुरु लघु से होता है 

Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:33pm
आदर्णीय वेदिका जी.....इसमे चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण मे 9,7,10 मात्राओं पर यति तथा चरण का अंत लघु गुरु से होता है.....
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:11pm
सादर आभार आपका आदर्णीया..कुमारी जी....मेरी त्रुटियों को उजागर करने के लिए आपका कोटि कोटि आभार ....
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:04pm
आदर्णीया गीतिका जी आपका सादर आभार
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:02pm
आदर्णीया... डा.सिंह जी....सादर आभार जो आपने मेरी रचना पढी और उसकी कमी को उजागर किया .... आपका बहुत बहुत धन्यवाद

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 15, 2013 at 12:34pm

आ० मनोज शुक्ला जी,
कामरूप छंद पर चेतावनी देती सुन्दर प्रस्तुति।
अंतर गेयता को भी यति पर तुकांतता रखते हुए बहुत खूबसूरती से साधा है ...इसहेतु हार्दिक बधाई 
अंतिम चरण में //अब तू संभल जा// इस पदांश  की मात्रा १०  हो रही है।आशा है इसे ९ पर साध लेंगे ..
सुन्दर प्रस्तुति पर पुनः बधाई

Comment by वेदिका on April 15, 2013 at 12:22pm
एक पंक्ति में कामरूप छंद की अवधारणा लिख देंगे तो मेरे जैसे नव लेखन को छन्दों का व्याकरण और भी आसान हो जायेगा।
कामरूप छंद पर बधाई स्वीकारें आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 10:33am

कामरूप छंद पर अच्छा प्रयास किया है उत्कृष्ट भाव हैं बधाई।  कुछ त्रुटियाँ हैं जो सुधार चाहती हैं ----दुनिया में  चंद्रबिंदु नहीं आता 

अब तू संभल जा---में मात्रा पुनः जांच लें प्रयास रत रहें शनै शनै सुधार आता जाएगा हार्दिक बधाई 
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 10:14am
आदर्णीय अशोक जी सराहना के लिए हार्दिक आभार....बहुत बहुत धन्यवाद

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