For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजा सत्यकेतु की नींद मे व्यवधान पड़ा तो वे जग गये.अंधेरे मे देखने की कोशिश की तो एक सजी धजी अपरिचित महिला को महल से बाहर जाते देखा. पूछने पर उसने बताया,"मै इस राज्य की भाग्यलक्ष्मी हूँ.मै इस राज्य को त्याग कर जा रही हूँ.
राजा ने कारण पूछा तो भाग्यलक्ष्मी ने उत्तर दिया,"जिस राजा के राज्य मे धन का सम्मान नही होता मै वहाँ नही रहती".राजा ने चूंकि उन दिनो गरीबों, अपाहिजों और असमर्थों के लाभार्थ अपने खजाने खोल रक्खे थे और भाग्य लक्ष्मी उसे अपव्यय और अपना अपमान समझती थी,अतः राजा के रोकने और मनाने पर भी वो नही मानी और चली गयी........
अगले ही दिन जब राजा को राज्य कार्य से थोड़ा अवकाश और एकांत मिला तो उन्हॉने एक और अपरचित सुदर्शन पुरुष को महल के बाहर जाते देखा. पूछ्ने पर उसने बताया कि वह इस राज्य का भाग्यदेवता है और चूंकि जिस राज्य से उसकी धन लक्ष्मी रूठ गयी हो वहाँ भाग्य देवता का भी निवास असंभव है. इसलिए वह भी वहाँ से जा रहा है.
राजा स्तब्ध थे, किन्तु ज़रूरतमंद गरीबों और असहायो के निमित्त अपनी सहायता रोक पाना उसकी अंतरात्मा को स्वीकार नही था.अतः भारी मन से राजा सत्यकेतु भाग्य देवता को अपनें महल से जाते देखते रहे.
अगले कुछ दिनो मे राजा ने महल से यश,सामर्थ्य,निश्चिंतता और आनंद आदि पुरुषो को जाते देखा.राजा कुछ भी न कर सके.
एक रात एक दुबले पतले कौपीन धारी वृद्ध व्यक्ति को भी राजा ने महल से जाते हुए देखा.राजा ने उससे भी उसका परिचय पूंछा.उसने उत्तर दिया , वह सत्य है और अपने साथियों के बिना वह भी वहाँ नही रह सकता.
राजा ने उसके पैर पकड़ लिए,"सत्य यदि उसके जीवन से चला गया तो वह जी कर क्या करेंगे?"
अत्यंत अनुनय विनय के बाद आखिर सत्य को पसीजना पड़ा और वह राजा के साथ रहने को मान गया . अगले ही क्षण लक्ष्मी ,भाग्य यश, सामर्थ्य और आनंद आदि सभी विभूतियाँ राजा के महल मे पुनः आ गयी.
क्योकि जहाँ सत्य है इन सारी विभूतियों का स्थान भी वही है. फिर एक लंबे समय तक राजा सत्यकेतु अपनी सभी विभूतियों के साथ न्यायपूर्वक् प्रजापालन करते रहे.....
डा.बृजेश कुमार त्रिपाठी

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 21, 2010 at 11:26am
गणेश भैया कहानी पसंद करने के लिए पसंद बहुत बहुत धन्यवाद्

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 21, 2010 at 10:37am
बहुत ही सुंदर प्रेरक प्रसंग , जहा सत्य है वहा सबकुछ है | बहुत बढ़िया |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service