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ओबीओ  परिवार सम,  शारद  के  सब भक्त 

’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त

भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है

नदिया  धारे   धार,   जिये  नित  परिवर्तन है

तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--

बहती   नदिया   मौन,  कहे  सबसे   ओबीओ..  .

ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. .  हम समवेत सीखें .. ..

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2013 at 4:56pm

भाई बृजेश जी, भावानुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2013 at 4:56pm

भाई राजेश झा जी,  उन्‍मुक्‍त कुंडलिया किस तरह की कुण्डलिया छंद है इसका मुझे पता ही नहीं था.  हमने तो मात्र एक छंद विशेष ही लिखा है. यदि आप उन्मुक्त कुण्डलिया की विधा को स्पष्ट कर सकें तो सभी के साथ मुझे भी लाभ होगा.

भावानुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद.

Comment by राजेश 'मृदु' on April 3, 2013 at 1:24pm

साधु-साधु, बहुत ही उन्‍मुक्‍त कुंडलियां लिखी हैं आदरणीय और संदेश तो सर्वव्‍याप्‍त है ही, सादर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2013 at 6:46am

श्रद्धेय श्री सौरभ पाण्डेय जी, सादर अभिवादन!

ओ बी ओ की स्थापना दिवस पर आपके उदगार सभी सदस्यों में नए उत्साह का संचार करती है!

खासकर यह उद्गार - 

तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो --

बहती नदिया मौन,  कहे सबसे ओबीओ.....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 6:54pm

आदरणीय, सौरभ पाण्डे जी,  जी गुरूजी! आप सभी माननीय पदाधिकारियों एवं समस्त गणमान्य सदस्यों को भी ओ0बी0ओ0 की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2013 at 6:36pm

तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो --

बहती नदिया मौन,  कहे सबसे ओबीओ ..  यही आत्मीय भाव सदस्यों विशेषतः विद्वजनों में होने के कारण obo की निरंतर 

सदाशय संख्या में इजाफा हो रहा है |  सदस्य खुलकर अपनी जिज्ञाषा शांत कर पाते है और सीखने को मिलता है | सुन्दर 

कुंडलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी, और सभी सदस्यों को हार्दिक शुभ कामनाए 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 1, 2013 at 9:18pm

ओबीओ मंच के प्रादुर्भाव दिवस पर ओबीओ के अंतर-चिंतन, अविचलित सतत प्रवाह और सुदृढ़ तटबंधों के दोनों स्तंभों को सबके समक्ष प्रस्तुत करते इस विशष्ट कुण्डलिया छंद के लिए साधुवाद.

प्रादुर्भाव दिवस की आपको व सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ 

सादर.

Comment by श्रीराम on April 1, 2013 at 8:47pm

" सुंदर प्रस्तुति ... बहुत-बहुत बधाई"

Comment by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 5:03pm

यह पावन दिवस सबको मंगलमय हो। आप सभी को बहुत बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on April 1, 2013 at 4:53pm

आदरणीय सौरभ सर सही कहा आपने मुझे जो भी ज्ञान मिला सब ओ बी ओ की ही देन है ..नहीं तो मुझे साहित्य की ए बी सी  डी भी नहीं आती थी! आपके सुझाव स्नेह के लिए मै जीवन भर आभारी रहूँगा//////सादर प्रणाम 

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