==========ग़ज़ल===========
भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये
फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये
राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये
वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये
कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये
संदीप पटेल "दीप"
Comment
वाह मित्रवर वाह आज के हालात को हुबहू बयां करती लाजवाब ग़ज़ल, सत्यता को आपने बखूबी ग़ज़ल के रूप में पेश किया, मेरी ओर से दिली दाद - ढेरों दाद कुबूल करें . ह्रदय प्रसन्न हो गया मित्र
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