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निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार, 

क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।

  

क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,

इस जंजाल में फँसकर, डूबता चला जाय । 

 

जब तक जीना है हमें, ऐश करे सब आप,

दिल दुखे क्या लाभ मिले,दिल दुखाना पाप ।

 

जीना अब आसान कर,ले उधार का साथ,

मरना जीना चक्र है, साँस प्रभु के हाथ । 

 

आत्महत्या चाह करे, बढे उधारी चीर,

बढे उधारी चीर सी, बढे साँस की पीर । 

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला   

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 7:26pm

प्राप्त को मै प्रापत  स्वर में 211 गिनने की भूल कर रहा था ।मात्रा गिनने में सावधानी बरतने का प्रयास करना होगा । सावचेत करने के लिए आभार आदरणीय श्री गणेश जी बागी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 6:11pm

सराहना करने के लिए सादर आभार श्री संदीप कुमार पटेल जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 6:10pm

,सादर आभार श्री राजेश कुमार झा 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 12, 2012 at 5:56pm

बहुत सुन्दर प्रयास सर जी
आपके इस प्रयास को सादर प्रणाम

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 5:39pm

सबसे अच्‍छी बात यह है कि आदरणीय लडिवाला जी सतत प्रयत्‍नशील रहते हैं और प्रयत्‍न करते रहना ही सबसे बड़ी बात है, चलते रहिए हुजूर हम आपके साथ चलेंगें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 3:48pm

आदरणीय लडिवाला जी, आप स्वयम गिनती कर कही १४ कही १० गिन रहे हैं, इसे क्या कहे ? जानबूझकर गलत गिने हैं ?

निज मकान प्राप्त करे

११    १२१     २१    १२ = १२ १४

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 2:06pm

आदरणीय बागी जी आपका निर्देशानुसार और मेरी समझ अनुसार मै मात्रा गणना कर अंकित कर रहा हूँ -, ताकि 

शंका समाधान हो सिखने को मिले - कृपया में 112 कुल 4 

निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार, 

11  12 1  2 1 1 1 2, 11 2 2 2  2 1   = 14, 11

क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।

 211 2 1   2  2  2, 11  2 2 1  121  =  13,11

क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,

211   21    21 12,  11  112   2  21 = 13,11

इस जंजाल में फँसकर, डूबता चला जाय । 

 11 221   2  1111 ,   212  12  21   =  13, 11

जब तक जीना है हमें, ऐश करे सब आप, = 13, 11

दिल दुखे क्या लाभ मिले,दिल दुखाना पाप ।

 11  12  2   21   12,   11 122   21  =  13,10

जीना अब आसान कर,ले उधार का साथ,  =13, 11

मरना जीना चक्र है, साँस प्रभु के हाथ । 

112  22   111 2,  21  11  2  21   =   = 13, 10

आत्महत्या चाह करे, बढे उधारी चीर,

2 1 2 2    2 1  1 2,  12 122  2 1  =  13, 11

बढे उधारी चीर सी, बढे साँस की पीर । = 13, 11

परीक्षा फल की प्रतीक्षा में सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:31pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, दोहे कृपया जल्दबाजी में ना लिखें ...सादर.

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 2:04am

छन्द के प्रति आपकी रूचि एक न एक दिन गुल जरूर खिलायेगी, बस अब तो यही चाहत है कि वह दिन जल्दी से जल्दी आए
शुभकामनाएं


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 11, 2012 at 10:19pm

आदरणीय लडिवाला जी, आपने दोहा ही रचा है ना ? यदि हां तो एक बार सभी दोहों की मात्रा गिनके यहाँ पोस्ट करें ...उदाहरण स्वरुप ...कृपया ? की जगह मात्रा की संख्या लिखें

निज मकान प्राप्त करे= ? कर कर्जे का भार=?

क्रेडिट कार्ड से भी ले=? अब आसान उधार=?

कृपया ध्यान दे...

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