For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती माँ ही पालती, रख नारी का मान,
यही रहेगी संपदा, कर नारी के नाम ।

बहती नदी सी नारी, दूजे घर को जाय,
अपनावे ता उम्र ही, घर उसका हो जाय ।

ममता भाव की भूखी, केवल चाहे मान,
रुखी सूखी पाय भी, घर की रखती शान ।

झेल रही है बेटियाँ, अपना सब अपमान,
बाँध टूटता सब्र का, तुझे न इसका भान ।

नारी का सम्मान करे, तब घर का तू नाथ,
दूजे घर को छोड़ कर, पकड़ा तेरा हाथ ।

लड़के की ही चाह में, सहन किया है पाप,
भ्रूण हत्या पाप करे, झेले फिर संताप |

झेल चुकी है बेटियाँ,बड़े बड़े अपमान,
लड़के अब कुंवारे फिरे, नहीं रहे अरमान ।

बेटी अपने जहन में, यह भी रखती ध्यान,
बिना नम्रता के यहाँ, किसको मिलता मान ।

बेटी मेरी बात को,रख जीवन भर याद,
तेरे काँधे ही टिकी, इस घर की बुनियाद ।

बेटी मेरी बात तू,यह भी रखना याद,
बिना नम्रता के यहाँ,जीवन है बर्बाद ।

बेटा बेटी देन है, इश्वर की सौगात,
मुख इनसे क्यों मोड़ते,एक ही इनके तात ।

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 17, 2012 at 9:34am

दोहे पसंदकर हॉंसला बढ़ाने के लिएहार्दिक आभार श्री अशोक रक्ताले साहिब

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 17, 2012 at 9:25am

आदरणीय लड़ीवाला साहब

                                सादर, बहुत सुन्दर भाव प्रकट करते या कहूँ जग को जाग्रत करते दोहों पर बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 1:33pm

दोहे लिखने का मकसद तो समाज को जागरूक करना और आगाह करना होता है । कबीर, रहीम,बिहारी आदि कवियो के दोहे समाज को जागरूक करने के ही निम्मित है । दोहे सारगर्भित बन पड़े यह सौभाग्य की बात है । आपका हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी  

Comment by MAHIMA SHREE on December 11, 2012 at 9:52pm

आदरणीय लक्ष्मण सर , सादर नमस्कार

बहुत ही सारगर्भित दोहें .. समाज को चेतावनी तो दे ही रही है आपकी रचना, साथ ही  बेटियों के दुखी मन का चित्रण भी बहुत ही सच्चाई के साथ बयाँ कर रही है /

आपको बहुत -2 बधाई और साधुवाद /

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 9:09pm

रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री राजेश कुमार झा जी

Comment by राजेश 'मृदु' on December 11, 2012 at 6:37pm

आपकी रचना बहुत सुंदर संदेश देती है समाज को भी और बेटी को भी खास तौर से ये पंक्तियां

बेटी मेरी बात को,रख जीवन भर याद,
तेरे काँधे ही टिकी, इस घर की बुनियाद ।

बड़ी सहजता से लिखी गई हैं, बहुत बधाई

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:03pm

आदरणीय श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी, रचना सराह्कर दोहों के प्रति होंसला बढाने हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 4:26pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, 

सादर अभिवादन 

बहुत सुन्दर भाव युक्त अभिव्यक्ति हेतु बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 11:07am

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार विजय मिश्र जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 11:06am

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार डॉ अजय खरे जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service