For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लूट व् भ्रष्टाचार से, भरा पड़ा अखबार,
ह्त्या, बलात्कार से, ख़बरों की भरमार ।
 
घोटालों की भरमार, जनता को सब भान
जाँच करा लिपापोती, सरकार की ये शान ।
 
सुर्खियों में रहना ही, नेता समझे शान,
चर्चा में हरदम रहे,  नेता उसको जान  । 
 
खबर गर है मजेदार,सच की क्या दरकार
संस्कृति व साहित्य से, कहाँ अब सरोकार ।
 
जनहित सोंच खबर छपे, इसकी ही दरकार,   
जनजन को चेतन करे,वह असली अखबार ।
 
जनता में जागृति भरे, खबर सजग करजाय, 
जनसत्ता को सजग करे, चौथा स्तम्भ बताय ।
 
जनहित में खबरे छपे, इसकी ही दरकार,   
जनजन को चेतन करे,वह असली अखबार ।
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला  

 

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 3, 2012 at 9:46am

रचना के भाव पसंद करने के लिए आपका आभार भाई श्री वीनस केसरी जी 

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2012 at 12:10am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 12:00pm

 रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा 'अनंत' जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 11:57am

डॉ प्राची जी, दोहे लिखने के विच्दर से ही प्रयास किया था पर बैठ नहीं पा रहे थे । रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 11:51am

आपका सुझाव अच्छा लगा घोटालों की भरमार ज्यादा ठीक रहेगा । तो पंक्तियों के माध्यम से आपकी 

सामयिक प्रतिक्रिया ने तो चार चाँद लगा दिए, हार्दिक आभार स्वीकारे 
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:49am

आदरणीय सर आज के अख़बारों की दशा का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया है बधाई स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 7:55pm

आदरणीय लक्ष्मण जी,

इस रचना के भाव बहुत सुन्दर हैं.

लेकिन यदि आपने यह दोहा मान कर लिखे हैं तो यह दोहे बिलकुल नहीं हैं...

सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 7:43pm

आदरणीय लड़ीवाला जी 

                    सादर प्रणाम, सामयिक विषय पर आपने बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं एक दो जगह मात्रा कम लगी.मगर दोहे अपने उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं.सादर.

घोटालो की करतार,  जनता को भी भान             

जांच कर लीपापोती,  घोटाले की   शान ।
इस दोहे में करतार कि जगह भरमार कर दें तो कैसा रहेगा.

सम्पादक बैठे दुई, मांगे एक करोड,

पत्रकारिता भी मुई,लागत है बेजोड/ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 4:36pm

रचना के भावों को पसंद कर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी 

आपने टंकण त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाकर लेखक धर्म निभाया है, उसके लिए भी धन्यवाद ।

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 4:13pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका शालिनी कौशिक जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service