For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आभार तुम्हारा कैसे माँ, मै व्यक्त करूँ....?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ....?

तेरी मिट्टी की खुशबू माँ ...
मेरे तन मन मे छाई है.....
तेरी आशीषें ले कर ही...
पुरवाई फिर से आई है....
सुख यश की इन सौगातों का उपकार मै कैसे व्यक्त करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

तेरी मिट्टी से जो उपजा ,
वह अन्न बड़ा बलदायी है...
तुझको छू कर ही पवन आज
शीतल है...व सुखदाई है...
इन सुंदर सुखद बहारों का मै मोल तुम्हे कैसे दे दूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ ...?

तुमसे पोषित मन मचल रहा...
नयनों से नीर न थमते हैं....
तेरी शोभा मे लीन नयन ,
पल भर भी नहीं झपकते हैं...
तो तुम ही बोलो कैसे माँ शत बार तुम्हारा नमन करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

जो भूखे-नंगे जीते है...
जो नयन नीर ही पीते हैं...
उनका भी सुखद बिछौना तुम
भय हीन नींद वे सोते हैं.....
ओ स्नेहमयी माँ बोलो न...कैसे जीवन अर्पण कर दूँ?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ....?
डा. बृजेश कुमार त्रिपाठी

Views: 348

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 26, 2010 at 11:31am
माँ तुझे सलाम, धरती माँ से बड़ी दुनिया मे कोई नहीं है, माँ को समर्पित एक बेहतरीन कृति, आप बधाई के पात्र है | ऐसी रचना यदा कदा ही पढ़ने को मिलती है |
बहुत बढ़िया |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 25, 2010 at 6:29pm
नवीन जी , आशीष जी आपके कमेन्ट मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं कृपया कृपा बनाये रहिये
Comment by आशीष यादव on October 24, 2010 at 10:33am
तुमसे पोषित मन मचल रहा...
नयनों से नीर न थमते हैं....
तेरी शोभा मे लीन नयन ,
पल भर भी नहीं झपकते हैं...
तो तुम ही बोलो कैसे माँ शत बार तुम्हारा नमन करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

bahut sundar prastuti ki ha aapne. bahut sundar laga. apni dharti mata ko naman.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service