For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव की विधवाओं को सरकार की ओर से सहायता राशि वितरित की जा रही थी. तभी एक नौजवान विधवा अपने हिस्से की धनराशि लेने मंच की ओर बढ़ी, जिसे देख नेता जी ने सरपंच के कान में धीरे कहा,
"ये लड़की कौन है ?"
"
ये नंदू लुहार की बहू है नेता जी."
"अरे भई इसको तो बाकियों से ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था."
"वो क्यों नेता जी ?"
"अरे
मुखिया जी, ज़रा बॉडी तो देखिए ससुरी की."  

 

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 7, 2012 at 2:16pm

भाई राजेश कुमार झा जी दिल से धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 7, 2012 at 1:33pm

आदरणीय प्रभाकर जी, सादर 

आपकी अनोखी लेखन शैली बहुत सीखने  पर मजबूर कर देती है.. आप लिखते रहिये हम सीखते रहें.

इतनी गंभीर बात इतने कम शब्दों में. बधाई सर जी. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2012 at 6:46pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, आपकी लघुकथायें बहुत ही मारक होतीं हैं, यह लघु कथा भी उसी श्रृंखला की एक कड़ी है, एक बहुत बड़ी बात बडे ही सहजता से कह दी है, समाज में आये दिन कुछ इसी तरह का व्यवहार देखने को मिलता है | बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 11, 2012 at 8:13pm

आदरणीय प्रभाकर जी

                       सादर प्रणाम, मानव रूप में छुपे हुए इन भेड़ियों के कारण ही पूरा पुरुष समाज बदनाम है. आज कि हकीकत को बयान करती सुन्दर लघुकथा के लिए बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 11, 2012 at 10:21am
"गागर में सागर" को चरितार्थ करती पोस्ट कार्ड साइज़ पत्रिका तक के लिए भी सर्वोत्तम लघुत्तम कथा जो 
अनकही बात को स्वतः उजागर करती हुई समाज में व्याप्त मानसिकता को इंगित कर रही है | बहुत खूब, 
बहुत बधाई आदरणीय भाई श्री योग राज प्रभाकर जी 

 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 11, 2012 at 8:40am

आदरणीय योगराज जी....बहुत ही बेहतरीन लघुकथा ! इस कथा में जो लिखा है, वो कुछ नही, असल तो वो है जो नही लिखा है ! सादर  बधाई स्वीकारें !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 11, 2012 at 1:14am

उन आँखों का कमीनापन ! ओह, नर्क कर रखा है कमबख़्तों ने.

अपने गिर्द की घटनाओं को इतनी आसानी से इस ऊँचाई पर ले जाना आपकी लघु-कथाओं की विशेषता रही है, आदरणीय योगराजभाईसाहब. स्तर से नीचे के लोगों का सतह पर आ जाना समाज के लिये कितना भारी पड़ता है इस तथ्य को आपकी लघुकथा सार्थक रूप से स्पष्ट कर रही है.

सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय.

Comment by Rekha Joshi on October 10, 2012 at 10:06pm

आदरणीय प्रभाकर जी ,अनेक सफेदपोश ऐसी घटिया मानसिकता लिए हुए इधर उधर दिखाई पड़ ही जाते है ,लघु कथा के माध्यम से आपने उसे उजागर किया है ,सार्थक  कथा के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by seema agrawal on October 10, 2012 at 2:57pm

दो-मुँही और विषाक्त मानसिक प्रवृत्ति का कम शब्दों में विषद वर्णन है आपकी कथा .......बधाई योगराज जी 

Comment by MARKAND DAVE. on October 10, 2012 at 2:10pm

Very Nice Short story Resp.sir,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
3 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
20 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
20 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service