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सुनयना [लघु कथा ]

अपने नाम को सार्थक करती हुई कजरारे नयनों वाली सुनयना अपनी प्यारी बहन आरती से बहुत प्यार करती थी |किसी हादसे में आरती के नयनों की ज्योति चली गई थी लेकिन सुनयना ने जिंदगी में उसको कभी भी आँखों की कमी महसूस नही होने दी | हर वक्त वह साये की तरह उसके साथ रहती,उसकी हर जरूरत को वह अपनी समझ कर पूरा करने की कोशिश में लगी रहती |एक दिन सुनयना को बुखार आ गया जो उतरने का नाम ही नही ले रहा था ,उसके खून की जांच करवाने पर पता चला कि उसे कैंसर है ,उसके मम्मी पापा के पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई ,लेकिन सुनयना के मन में तो कुछ और ही चल रहा था ,इससे पहले कि मौत उसे अपने आगोश में ले कर सदा के लिए सुला दे ,उसने अपने माँ बाप से अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त कर दी थी |आज सुनयना अपने माता पिता के साथ नही है ,लेकिन वह आरती के नयनों से इस दुनिया को देख रही है ,उसने अपने नेत्रदान कर दिए थे |

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Comment by Rekha Joshi on October 9, 2012 at 11:16pm

आदरणीय अशोक जी ,उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2012 at 8:20am

रेखा जी

          सादर, नेत्र दान महादान को सार्थक करती सुन्दर लघुकथा पर बधाई स्वीकारें.

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 11:15pm

वसुधा जी ,प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by Vasudha Nigam on October 6, 2012 at 10:19pm

कम शब्दो में गूढ़ अर्थो के साथ एक सार्थक कथा के लिए बधाई॥ 

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 10:24am

आदरणीय सौरभ जी ,आप को लघु कथा पसंद आई ,मेरा प्रयास सफल हुआ ,आपका हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 10:21am

आ सीमा जी ,आ राजेश जी ,आ डा प्राची जी आपको लघु कथा पसंद आई धन्यवाद ,आप सब के कमेंट्स से मुझे प्रेरणा मिलती है ,उत्साहवर्धन हेतु अप सब का हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2012 at 9:51pm

सुनयना की सार्थकता उसके कर्म से ज़ाहिर हुई. भाव-प्रवण लघुकथा के इये बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 5, 2012 at 9:44pm

बहनों के निस्वार्थ स्नेह पर सुन्दर लघुकथा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 5:18pm

अच्छी कहानी लिखी है रेखा जी बहन के प्रति स्नेह की अद्दभुत मिसाल है यही तो सच्चा ,निस्वार्थ प्रेम होता है 

Comment by seema agrawal on October 5, 2012 at 3:27pm

बहुत सुन्दर सन्देश ...और प्रेम की मिसाल प्रस्तुत करती कथा 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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