For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनयना [लघु कथा ]

अपने नाम को सार्थक करती हुई कजरारे नयनों वाली सुनयना अपनी प्यारी बहन आरती से बहुत प्यार करती थी |किसी हादसे में आरती के नयनों की ज्योति चली गई थी लेकिन सुनयना ने जिंदगी में उसको कभी भी आँखों की कमी महसूस नही होने दी | हर वक्त वह साये की तरह उसके साथ रहती,उसकी हर जरूरत को वह अपनी समझ कर पूरा करने की कोशिश में लगी रहती |एक दिन सुनयना को बुखार आ गया जो उतरने का नाम ही नही ले रहा था ,उसके खून की जांच करवाने पर पता चला कि उसे कैंसर है ,उसके मम्मी पापा के पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई ,लेकिन सुनयना के मन में तो कुछ और ही चल रहा था ,इससे पहले कि मौत उसे अपने आगोश में ले कर सदा के लिए सुला दे ,उसने अपने माँ बाप से अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त कर दी थी |आज सुनयना अपने माता पिता के साथ नही है ,लेकिन वह आरती के नयनों से इस दुनिया को देख रही है ,उसने अपने नेत्रदान कर दिए थे |

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on October 9, 2012 at 11:16pm

आदरणीय अशोक जी ,उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2012 at 8:20am

रेखा जी

          सादर, नेत्र दान महादान को सार्थक करती सुन्दर लघुकथा पर बधाई स्वीकारें.

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 11:15pm

वसुधा जी ,प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by Vasudha Nigam on October 6, 2012 at 10:19pm

कम शब्दो में गूढ़ अर्थो के साथ एक सार्थक कथा के लिए बधाई॥ 

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 10:24am

आदरणीय सौरभ जी ,आप को लघु कथा पसंद आई ,मेरा प्रयास सफल हुआ ,आपका हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Rekha Joshi on October 6, 2012 at 10:21am

आ सीमा जी ,आ राजेश जी ,आ डा प्राची जी आपको लघु कथा पसंद आई धन्यवाद ,आप सब के कमेंट्स से मुझे प्रेरणा मिलती है ,उत्साहवर्धन हेतु अप सब का हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2012 at 9:51pm

सुनयना की सार्थकता उसके कर्म से ज़ाहिर हुई. भाव-प्रवण लघुकथा के इये बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 5, 2012 at 9:44pm

बहनों के निस्वार्थ स्नेह पर सुन्दर लघुकथा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 5:18pm

अच्छी कहानी लिखी है रेखा जी बहन के प्रति स्नेह की अद्दभुत मिसाल है यही तो सच्चा ,निस्वार्थ प्रेम होता है 

Comment by seema agrawal on October 5, 2012 at 3:27pm

बहुत सुन्दर सन्देश ...और प्रेम की मिसाल प्रस्तुत करती कथा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
58 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service