For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पलकों पे टिकी शबनम को सुखा ले साथिया

धूप के जलते टुकड़े को बुला ले साथिया 

 

जुल्म ढा रही हैं मुझ पर  सेहरे की लडियां

इस  चाँद पर से बादल को हटा ले साथिया 

 

 बिछ गए फूल खुद  टूट कर  राहों में तेरी

 अब कैसे कोई  दिल को संभाले साथिया 

 

बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई 

कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया 

 

देख के सुर्ख आँचल में  लहराती शम्मा 

दे देंगे जान इश्क में मतवाले साथिया 

 

यहाँ जल रहे हैं यार सब किस्मत पे मेरी 

मेंहदी वाले हाथों में छुपा ले साथिया 

******************************** 

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 13, 2012 at 12:01pm

हार्दिक आभार योगी सारस्वत जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 13, 2012 at 12:00pm

हार्दिक आभार संदीप कुमार पटेल जी 

Comment by Yogi Saraswat on September 13, 2012 at 10:41am

यहाँ जल रहे हैं यार सब किस्मत पे मेरी 

मेंहदी वाले हाथों में छुपा ले साथिया

अति सुन्दर !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 13, 2012 at 10:37am

वाह वाह वाह
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
इस सुन्दर सार्थक प्रयास के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिये

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 9:26am

नमस्कार राजेश जी.........व्यस्तताएं कुछ बढ़ गई थीं...........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 13, 2012 at 9:24am

आप इतने दिनों कहाँ गायब हो गए थे अलबेला जी --हार्दिक आभार ग़ज़ल को सराहने के लिए 

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 9:15am

वाह वाह राजेश जी........
बहुत खूब

जुल्म ढा रही हैं मुझ पर  सेहरे की लडियां

इस  चाँद पर से बादल को हटा ले साथिया

-अभिनन्दन


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 12, 2012 at 8:38pm

कुमार गौरव अजीतेंदु जी हार्दिक आभार आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 12, 2012 at 8:37pm

अशोक कुमार रकतेला जी तहे दिल से शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसंद आई 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 12, 2012 at 8:08pm

आदरणीया राजेश जी......बहुत संदरता से आपने अपनी बातें कहीं..बहुत-बहुत बधाई आपको.......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
38 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
40 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service