For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक़्त भी क्या चीज है यारों
हर ओर हकूमत, इसकी छाई है
कही छाया है मातम की
तो कहीं बजी शहनाई है l

गिरगिट सा है रंग बदलता
हर्षित, भयभीत, भ्रमित कर
परिचय जग को अपना देता
रंक से राजा पल में बनता
वक़्त जिस पर मेहरबान हुआ
क्षणभर भी न टिकता जग में
काल का भयंकर जब वार हुआ

रावण राजा बड़ा निराला
अहं स्वयं के शिकार हुआ
क्षण भर में परलोक सिधारा
दुस्साहस जब वक़्त से
टकराने का था उसने किया
ग्रसित करता पलभर में
जिसका सामना वक़्त का
जग में यार हुआ

रोक सके जो रोके इसको
किसकी शामत आई है
क्षिप्र गति से दौड़ लगाता
ना देख सके इसकी कोई परछाई है

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on September 6, 2012 at 12:41pm

योगी जी नमस्कार. आपका बहुत बहुत सुक्रिया ..... फूल सिंह

Comment by Yogi Saraswat on September 6, 2012 at 10:03am

गिरगिट सा है रंग बदलता
हर्षित, भयभीत, भ्रमित कर
परिचय जग को अपना देता
रंक से राजा पल में बनता
वक़्त जिस पर मेहरबान हुआ
क्षणभर भी न टिकता जग में
काल का भयंकर जब वार हुआ

बहुत सुन्दर , समय का महत्व बताती सार्थक रचना फूल सिंह जी !

Comment by PHOOL SINGH on September 5, 2012 at 5:22pm

रेखा जोशी जी प्रणाम,

आपका आपका बहुत बहुत सुक्रिया ......

फूल सिंह 

Comment by Rekha Joshi on September 5, 2012 at 1:01pm

वक्त की हर शह गुलाम वक्त का हर शह पर राज ,वक्त पर अति सुंदर रचना ,बधाई फूल सिंह जी 

Comment by PHOOL SINGH on September 4, 2012 at 2:23pm

संदीप जी सादर प्रणाम,

आपके सुझाव के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद........

फूल सिंह

Comment by PHOOL SINGH on September 4, 2012 at 2:22pm

अशोक जी प्रणाम......

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

फूल सिंह

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 12:27pm

आदरणीय फूल सिंह जी सादर नमस्कार
आपकी रचना में वक़्त की ताकत बखूबी दिखाई देती है

किन्तु
"गिरगिट सा है रंग बदलता"

ये असहज कर रहा है
किन्तु वक़्त तो नियत ही चल रहा है उसमे आदमी ये सब काम करता है
वक़्त अपनी सीमा में नियत बंधा हुआ है
उसमे बदलाब न होना ही उसको इतना ताकतवर बना देता है
और इंसान में उसे बदल पाने की क्षमता नहीं है
यही कारण है की इंसान badlta है वक़्त के hisaab से


बहरहाल मेरी बधाई इस सार्थक वक़्त की रचना हेतु

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:26pm

वक्त की महिमा ही निराली है. बहुत सुन्दर. बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
28 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
41 minutes ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
6 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service