For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - तेरी याद माँ चाशनी है

 
ग़ज़ल - तेरी याद माँ चाशनी है
 
हवा में नमी कुछ बढ़ी है ,
मगर अब भी नीयत वही है |
 
रहा है भंवर का ये हासिल
किनारे पे नौका लगी है |
 
वो हसरत जो पूरी नहीं हो ,
यकीनन वही ज़िन्दगी है |
 
गरजकर हैं लेते परीक्षा ,
बरस जाएँ तो बंदगी है |
 
ग़ज़ल शेर चुनती है ऐसे ,
कलम कट गयी रोपनी है |
 
हैं बेकार मतलब के रिश्ते ,
तेरी याद माँ चाशनी है |
 
लबादे मुखौटे मुलम्मे ,
किसे हम कहें आदमी है |
 
पिसा पटरियों सा हमेशा ,
मेरी ज़िन्दगी रेल सी हैं |
 
           - अभिनव अरुण
              [25082012]
 

Views: 792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on April 24, 2013 at 10:04am

बहुत आभार आदरणीय आशीष जी आपको ये शेर पसंद आया लिखना / कहना सार्थक हुआ !!

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 23, 2013 at 10:50am

बहुत खूब
हैं बेकार मतलब के रिश्ते ,
तेरी याद माँ चाशनी है |

Comment by Abhinav Arun on September 2, 2012 at 3:56pm

आदरणीय श्री बागी जी एवं श्रद्धेय श्री सौरभ जी हार्दिक आभार आप  दोनों का आपने मेरा मार्गदर्शन किया ! अभी बदलाव कर देता हूँ !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 2, 2012 at 2:55pm

पिसा पटरियों सा हमेशा ,
समस्या मेरी रेल सी है |

भाईजी, आपकी इस जागरुक कोशिश पर हृदय से बधाइयाँ.  भाई गणेश जी की सलाह भी उचित प्रतीत होती है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 2, 2012 at 2:43pm

मेरी जिन्दगी रेल सी है (इस पर जरा विचार करें , शायद रुचे)

Comment by Abhinav Arun on September 2, 2012 at 2:11pm

आदरणीय श्री सौरभ जी संदर्भित शेर -

पिसा पटरियों सा हमेशा ,

समस्या मेरी रेल सी है |

कैसा रहेगा या कुछ और .. कृपया यथेष्ठ परामर्श दे कर संशोधित करदें , कृतार्थ करें अग्रिम आभार सहित - अभिनव !

Comment by Abhinav Arun on September 2, 2012 at 1:58pm
परम श्रद्धेय श्री पाण्डेय जी आपकी नजर सही जगह पर पड़ी है | "है" की जगह पर "हैं " हो गया है | हार्दिक आभार आपका आपने ध्यान दिलाया | इस को ठीक करने का प्रयत्न करता हूँ | आपने ग़ज़ल पढ़ी और टिप्पणी की हार्दिक आभार !!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:03pm

भाईसाहब, आपको एक अरसे बाद देख कर बड़ी प्रसन्नता हो रही है. ग़ज़ल के अश’आर अच्छे बन पड़े हैं. बधाई स्वीकारें.

मगर कमाल किया है मतले ने ! वाह ! इनके अलावे जिस अश’आर ने मोह लिया है वह निम्नलिखित है -

लबादे मुखौटे मुलम्मे ,
किसे हम कहें आदमी है |

वैसे कुछ अश’आर पर थोड़ी और मशक्कत और ग़ज़ब ढा देती.

पिसा पटरियों सा हमेशा ,
मेरी मुश्किलें रेल सी हैं |

यहाँ रदीफ़ ही बदल गया है, भाईजी.  विश्वास है, देख लेंगे.

Comment by Abhinav Arun on September 1, 2012 at 1:24pm

रूपक को अपने पसंद किया मैं धन्य हुआ श्री विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी  !! हार्दिक आभार आपका |

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2012 at 6:43pm
वाह अभिनव जी वाह!
पिसा पटरियों पर हमेशा।
मेरी मुश्किलें रेल सी हैं॥
क्या बेनजीर रुपक बांधा है।
बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service