For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन की बेकल धरती पर

मन की बेकल धरती पर जब, कोई बदरी छा जाए
जब बात पुरानी कोई आकर, मेरी याद दिला जाए
तब नाम हमारा लेकर खुद को, नींदों में तुम भर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

आस मिलन की घुल जाए, हर अंगडाई हर करवट में
जब बस जाए बस मेरा चेहरा,माथे की हर सलवट में
जब बेसुध से ये कदम तुम्हारे, दौडें बरबस देहरी को
जब मेरे आने की आहट, तुम सुन बैठो हर आहट में

तब मेरा नाम लिखे हाथों को, हारी पलकों पर धर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

-पुष्यमित्र उपाध्याय

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 23, 2012 at 10:00am
मन की कोमल भावनाएं और बहुत सुन्दर सहज शब्द... इस बहुत प्यारी मासूम अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई. पुष्यमित्र जी
Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 22, 2012 at 8:05pm

इतनी तारीफ़?
मैं सच में अभिभूत हूँ
आप सब का स्नेह पाकर
 सभी अग्रजों को सादर प्रणाम करता हूँ
एवं सभी मित्रों को सहृदय धन्यवाद

यूं ही आशीष व नेह बनाए रखिये, आपको निराश नहीं करूँगा..... :)

Comment by राजेश 'मृदु' on August 22, 2012 at 1:30pm

बड़ी नरमाई के साथ लिखा है आपने अंतिम दो पंक्तियां बेहद खूबसूरत हैं

Comment by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 1:01pm

आस मिलन की घुल जाए, हर अंगडाई हर करवट में
जब बस जाए बस मेरा चेहरा,माथे की हर सलवट में
जब बेसुध से ये कदम तुम्हारे, दौडें बरबस देहरी को
जब मेरे आने की आहट, तुम सुन बैठो हर आहट में,अतिसुन्दर भाव पुष्यमित्र जी ,हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 12:40pm

बहुत सुन्दर साहब
बधाई आपको इस रचना हेतु स्वीकार कीजिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2012 at 10:06am

सुन्दर कोमल भावनाओं को अपने में समेटे बहुत प्यारी प्रस्तुति 

Comment by satish mapatpuri on August 22, 2012 at 2:57am

तब मेरा नाम लिखे हाथों को, हारी पलकों पर धर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

वाह ... वाह .. पुष्यमित्र साहेब ... बड़ा ही मासूम और नाज़ुक ख्याल है . बधाई दे रहा हूँ आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2012 at 11:46pm

मन की कोमलता पंक्तियों से उझकती-झाँकती दीख रही है. सुदर प्रयास हुआ है.

बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service