For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी |

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही  गुलामी |
आज़ादी के बाद हुई है, दुनिया में बदनामी ||
महंगाई को रोक न पाये, जज़िये बड़ा दिये |  
मजहब का हवाला देकर, भाई लड़ा दिये ||
बेशर्मीं से, घोटालों के, हक में भरते हामी |
सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी ||
कहने को तो लोक-तंत्र है, लोग नहीं हैं राज़ी |
नेता, चोर, लुटेरे, डाकू, देखो बन गये क़ाज़ी ||
बे-शुमार दौलत इक्कठी, कर ली है बेनामी |
सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी ||
नेताओं की मेरे मौला, कर दे नींद हराम |
ताकि आज़ादी से पहले, सा-ना, हो अंज़ाम || 
नेताओं की किस्मत में, लिख दे दाता सूनामी |
सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी || 'शशि' जय भारत

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 22, 2012 at 12:02am

सादर,

        सुन्दर रचना छंदबद्ध करने का प्रयास किन्तु विचारों में ये विरोधाभास् क्यूँ है? एक तरफ तो गुलामी बेहतर लग रही है और फिर आजादी के पहले के हाल से कातरता भी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2012 at 9:58am

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही  गुलामी |

एकदम नहीं. एक गलत मिसरा. रचना-प्रयास सकारात्मक भाव का वाहक हो.

क्या व्याप्त और रचना में उल्लेख्य दोषों और गलतियों का सबसे बड़ा कारण हम स्वयं नहीं हैं ? हम सब नागरिकों की जागरुकता और मनस-भाव कहाँ और क्यों सुप्तावस्था में पड़े थे जब देश में ऐसे अक्षम लोग शासन योग्य समझे गये ? उँगली बता कर हम दोषमुक्त नहीं हो सकते. 

हमारे देश जैसी आज़ादी विरले देशों को मिलती है. कर्णधारों की अयोग्यता हमारी ही ओढ़ी हुई अयोग्यता है.

रचना-प्रयास के लिये शशिजी आपको हार्दिक धन्यवाद. 

Comment by Rekha Joshi on August 16, 2012 at 8:28pm

बे-शुमार दौलत इक्कठी, कर ली है बेनामी |

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी ||,स्टीक रचना आदरणीय शशि जी ,बधाई 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 16, 2012 at 3:21pm

नेताओं की किस्मत में, लिख दे दाता सूनामी |-----हाहाहा सही बददुआ दे रहे हैं पर लगता है सुनामी भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी -----बहुत सार्थक सामयिक लिखा बधाई आपको 

Comment by yogesh shivhare on August 16, 2012 at 9:14am

badhiya .....saab ..wah

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 9:25pm

आदरणीय शशि मेहरा जी

आज की परिस्थितिती के अनुरूप बेहद सटीक रचना है

आपको हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service