For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''बबुआ के प्यार हो गइल''

''बबुआ के प्यार हो गइल''
समय के संगे सब कुछ बदलत जात बा, अब तुही सुनS महेश्वर के बेटा का कहत बा ? इ बात हरी काका कहत रहलन दुखन ठाकुर से, जे उनकर दाढ़ी बनावत रहूअन, दुखन ठाकुर कहलन "का कहत बा काका" , काका कहलन मत पूछा, घोर कलयुग आ गइल बा, ओकरा शादी खातिर एगो हित बोलावले रहनी ह, दुखन कहले, हा हम सुनले रहनी की कोई हित आइल रहे, हमहू इंतजार करते रह गइनी की हमके केहू बुलावे आई, की चलS छेका बा, बाकिर केहू न आइल, त काका कहले, कैसे कोई जाईत हो उ कल्हे के छोकरा कहत बा, ओ लाईकी से हम कईसे शादी कS ली जेकरा से हम प्यार ना करीले, त कहो सादी से पाहिले प्यार होला, की शादी के बाद? दुखन कहलन काका इ हमनी के जमाना ना ह, इ नया जमाना बा, अब पाहिले प्यार बाद में शादी , काका एकदम झुझला के कहलन की भाड़ में जाव अइसन जमाना, हम त हित लोग के भेज देहनी की राउआ लोग जाई, इ लईका अपना मन के हो गइल बा, बाकिर काका, त काका कहलन आकिर बाकिर कुछ ना जवन गलत बा तवन गलत बा, फिर दुखन कहलन हमार बात त सुनी, लाईकवा इंजिनियर हो गइल बा, त काका कहलन तहार बात ठीक बा पढ़ले बा, बाकिर अभी कुछ काका कहते तले एगो लईका आ के कहलस की महेश्वर काका बोलावले ह, काल्ह वाला हित आइल बा लोग, का ? दुनु जाना के मुह खुलल रह गइल, दुनु जाना उठ के गइल लोग त हित कहले लईका के संगे हम आपन लईकी के एक महिना रोज दिन में मिले के इजाजत देत बानी,लईका खुश , तब महेश्वर काका कहलन लेन देन के बात हो जाव, त हित कहलन उहो हो जाई जब राउर लईका के लईकी पसंद आ जाई,वैसे हरी बाबु बरले बानी , उ लोग चल गइल महेश्वर हरी काका से कहलन, "ओ लोग से बोल दिहा ५ लाख नगद और एगो कार से कम न लेब हम" , अब एक महिना बीत गइल हित लोग आइल कहलस शादी के दिन ध ली, त महेश्वर कहले पहिले दहेज़ एडवांस दी ओकरा बाद बात आगे होई, उ लोग वोतना देबे के तैयार ना रहे, महेश्वर ना कर देले, उ लोग चल गइल, तीन दिन बाद महेश्वर के लईका कोर्ट में शादी कर के आ गइल, महेश्वर भौचक्का! उनकर बेटा कहलस बाबु जी प्यार के आड़ में दौलत कहा ? हम राउआ के बहुत कमा के देम, अब गाँव में एके गो चर्चा बा, बबुआ के प्यार हो गइल ,

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on April 29, 2010 at 8:26pm
गुरू जी, आप एक छोटी सी कहानी मे बहुत बड़ा सन्देश देने का प्रयास किये है, तीर तो एक है पर निशाना दो जगह पर आपने लगाया है, बहुत ही बढ़िया रचना है, एक तरफ तो आपने नये जमाने के "पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो" के फण्डा पर वार किया है तो दूसरी तरफ दहेज जइसे बुराई की भी झलक दिखाने का सफल प्रयास किया है, कुल मिलाकर इस कहानी के माध्यम से आपने जो सन्देश देने का प्रयास किया है उसमे ये कहानी पूर्णतया सफल है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service