For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है
मेरा साया पीछे छूटे भला कैसे मुझी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

मेरी यार वही है , दिलदार भी वही है
वो ही सावन है , औ फुहार भी वही है
वो ही खिलता गुलाब बहार भी वही है
मैं तो डरता हूँ उसे न हो इश्क किसी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

वो है हार मेरी, मेरी जीत भी वही है
वो प्रीत और प्रीत की रीत भी वही है
वो ही मेरी खुदा मनमीत भी वही है
मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

संदीप पटेल "दीप"

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 9:06am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय महाजन सर
स्नेह बनाये रखिये

Comment by Harash Mahajan on July 20, 2012 at 12:52pm


"मेरा यार वही है, दिलदार भी वही है "....वाह ....

बहुत ही सुंदर गीत संदीप पटेल जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:27pm

आदरणीय सौरभ सर जी
गीत लिखते समय दो लयों का संयोजन करना होता है
तब मुखड़े को अंतरों के साथ मिलाना धीरे धीरे सीख रहा हूँ
फिर भी कुछ कमी रह जाती है
जैसे मेरे पिछले गीत मैं भी यही कमी रह गयी थी
मुझे कुछ मार्गदर्शन दे कर मेरा मार्ग प्रसस्त करें
ताकि रचनाओं के साथ समुचित न्याय हो सके

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:18pm

आप सभी को ये गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हो गया
गुरुजन की बातों का ध्यान मेरे अगले गीत में रखने का पूरा पूरा ख़याल रखूँगा
भाई अरुण जी ये सब आपकी मोहब्बतों का पर्याय है जो मैं लिख रहा हूँ और आप सुधीजनों की प्रसंसा मिल रही है
मन प्रफुल्लित हो जाता है और एक नयी ऊर्जा मिल जाती है आपकी इन प्रतिक्रियाओं से
अपना ये स्नेह बनाये रखिये मुझ पर
आप सभी का ह्रदय की गहराइयों से सादर आभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 20, 2012 at 12:38am

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है 
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है 
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है 

मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से 
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से 

प्रिय संदीप जी बिलकुल मत रूठिए स्व से ...आप को आप की दवाई की हर दुआ लग जाए बात बन जाए  ...बधाई 


भ्रमर ५ 
Comment by आशीष यादव on July 20, 2012 at 12:37am

बढ़िया गीत पर बधाई स्वीकारें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 4:56pm

अच्छा गीत है.. .  मुखड़े ने बस मोह लिया.  उस हिसाब से अंतरा कमतर लगे. इन्हें कुछ बेहतर ढंग से शाब्दिक किया जा सकता था.

बहरहाल बधाई.

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:04pm

सुन्दर गीत मित्रवर ! आपकी बहुमुखी प्रतिभा का कायल हूँ !

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 18, 2012 at 11:06pm

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है

वाह क्या बात है प्रेम का एक अप्रतिम गीत लिखने पर आपको हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2012 at 7:12pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
मिठास भरी, कोमलतम भावों युक्त, मानवी प्रेम के एकत्व भाव को दर्शाते सुन्दर गीत के लिए बधाई संदीप पटेल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service