For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- १९

मैं मंजिल के करीब आकर बिखर न जाऊं

सोचता हूँकि आज रात अपने घर न जाऊं

 

मुझे भी है इन्तेज़ार उम्रदराज़ हो जाने का

दिनभर बेरोज़गार रहूँ और दफ्तर न जाऊं

 

लहरोंको देख तेरी नज़रों की याद आती है

मैंने सोचा हैकि फिर कभी समंदर न जाऊं

 

गली में कुहराम मचा है और मैं बच्चा हूँ

माँ ने कहा है कि मैं घर से बाहर न जाऊं

 

छोड़ गया है अपना कुनबा बीवीकी खातिर 

अब्बा कहतें हैंकि मैं बड़े भाई पर न जाऊं

 

रोक लेती हैं मेरे कदम तेरी डबडबाई आँखें

अबजो जाऊं कभीतो तुझे बताकर न जाऊं

 

खो गया है दिल मेरा और तुम ये कहतेहो

अपना दिल ढूँढने मैंकूचाएदिलबर न जाऊं

 

जिउं तो जिउं इस हालमें और मरुँतो राज़

मैं इस जहाँ से लेकर दूसरा पैकर न जाऊं

 

© राज़ नवादवी

पुणे, १७/०३/२०१२

 

कूचाएदिलबर- दिल चुरा लेनेवाले आशिक की गली; पैकर- शरीर 

Views: 256

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 21, 2012 at 12:43am

मैं शेर कहता गया और वो वाह वाह करते गए,

वो वाह वाह करते गए और मैं शेर कहता गया

 

न वो रुके न हम, न रुकी अपनी बज्मेबैतबाज़ी

वक्त बेखबर जंगल की इक नदी-सा बहता गया  

- आपका बहुत बहुत शुक्रिया सीमाजी. 

Comment by seema agrawal on September 21, 2012 at 12:10am

पता नहीं अब तक आपके कलाम अनजान क्यों रहे ...हर एक शेर कमाल है किसकी बात करूँ अलग से..... सीधे-सादे शब्दों में गहरी बात 

मुझे भी है इन्तेज़ार उम्रदराज़ हो जाने का

दिनभर बेरोज़गार रहूँ और दफ्तर न जाऊं .....

छोड़ गया है अपना कुनबा बीवीकी खातिर 

अब्बा कहतें हैंकि मैं बड़े भाई पर न जाऊं...वाह 

रोक लेती हैं मेरे कदम तेरी डबडबाई आँखें

अबजो जाऊं कभीतो तुझे बताकर न जाऊं..बहुत खूब राज जी मुबारकबाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service