For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- १६

जबहो जुनून सवार मिस्लेअस्प सर में

तब की फर्क पैंदा आबेहयातओज़हर में

 

खुदाभी यही कहता है लौट आओ पास

कितना सुकून है बैठे बैठे अपने घर में

 

कितने तज़ब्जुब से भरा है सफरेज़ीस्त

कोई कल्ब ज्यूँ भटकताहो राहगुज़र में 

 

दुनियामें कुछ नहींहै दीदनी दिखावा है 

तमाम तिलिस्मात बस भरे हैं नज़र में

 

तमाम दुनियामें जो महसूस करे तन्हा

समूची कायनात समाई है उस बशर में

 

कम लोग जाने हैं तामीरेखल्कका सच

ये दुनिया पैदा हुई इक इब्तेदाई डर में

 

फीका लगताहै ज़ायका कारीगरीका यारो 

रंग मिहनत का ना भरो अगर हुनर में

 

ज़माना आसानी से भुला बैठा उन्हें जो

हुए शहीद आज़ादी-ए-मुल्क की ग़दर में

 

हमारी तनहाई बयाँ है सुकूते दोपहर से

तुम्हारी रौनक दरख्शाँ है शामओसहरमें

 

ये शिगाफ यहाँ-वहाँ और शाखेसब्ज़ नई

लौट के रौनक आई है मेरे दीवारोदर में

 

रहेंहैं हम अपनी इन्फेरादियतमें कामिल

ये ज़माना है गू -ए-तुफ्ल मेरी ठोकर में

 

ज़रा एहतियातसे थामो गुलोबर्गका दामाँ

गोदिखे नहीं पेइक नन्हीं जाँहै शजर में   

 

क्या नई बात है बयानेहकीक़त में राज़

मिलाओ कुछ बात झूठी आज खबर में

© राज़ नवादवी

भोपाल, अपराह्न्न १५.५४, २५/०६/२०१२

 

मिस्लेअस्प- घोड़े के तरह; आबेहयातओज़हर- अमृत और विष; तज़ब्जुब- पसोपेश, उलझन; सफरेज़ीस्त- जिन्दगी का सफर; कल्ब- कुत्ता; दीदनी- देखने योग्य; तिलिस्मात- तिलिस्म का बहुवचन, इंद्रजाल, मायाजाल; कायनात- ब्रह्माण्ड; बशर- व्यक्ति; तामीरेखल्कका सच- सृष्टि के निर्माण का सच; इब्तेदाई डर- प्रारंभिक भय जब इश्वर परा परा अवस्था (beyond beyond state of God) से पहली चेतनावस्था में आया और स्वयं को नितांत अकेला पाया; सुकूतेदोपहर- दोपहर की नीरवता; दरख्शाँ- प्राकाश्मान; शामओसहर- सुबह और शाम; शिगाफ- दरार; इन्फेरादियत- अकेलापन; कामिल- पूर्ण; गू -ए-तुफ्ल- बच्चों की गेंद;  गुलोबर्गका दामाँ- फूल और पत्तों का आँचल; शजर- पेड़.

 

 

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 28, 2012 at 11:27am

क्या नई बात है बयानेहकीक़त में राज़

मिलाओ कुछ बात झूठी आज खबर में ...सौ टका सच कहा आपने


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 27, 2012 at 11:35pm

खूबसूरत हास्य गज़ल


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 27, 2012 at 11:34pm

खूबसूरत हास्य गज़ल

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service