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हार्दिक आभार कुमार गौरव जी
आदरणीया राजेश जी, साहित्य की हर विधा रोचक होती है.......बहुत-बहुत बधाई...
हार्दिक आभार सौरभ पाण्डेय जी आपका परामर्श सर्व माननीय है
बहुत बहुत शुक्रिया राज तोमर जी
कह-मुकरियों पर सार्थक प्रयास हुआ है, आदरणीया राजेश कुमारीजी. भाव-पक्ष उत्तम है. शिल्प पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
आप इस मंच के इन्हीं पन्नों में ’कह-मुकरियों’ पर प्रकाशित लेखों को देख लें तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा.
सादर
"नयन लाज से झुक- झुक जाएँ
दिल में प्रीत म्रदंग बजाये
मादक मेघ चुराए काजल
क्या सखी साजन ??
ना सखी बादल | "
बहुत खूबसूरत :)
हार्दिक आभार अविनाश बागडे जी
हार्दिक आभार संदीप कुमार जी
मादक मेघ चुराए काजल
क्या सखी साजन ??
ना सखी बादल |
वो एतिहासिक क्षण भी आये
प्यार में मैंने मोती लुटाये
जब देखा वो प्रीत महल
क्या सखी साजन ??
waah waah bahut sundar maukariyaan kahin hai aapne ....................badhai ho aapko
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