For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत -मैं भी कुछ सुनाऊँ तुमको, जो एसी भी शक्ति दी होती

मैं भी कुछ सुनाऊं तुमको,
जो ऐसी भी शक्ति दी होती

हे माँ तेरी चरणों में,
कुछ मेरी भी अर्जी तो होती

मैं दीन हूँ माँ समझो,
पर हीन न समझा करो

सीने से न अपने सही,
चरणों से न दूर करो

मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,
समझा न तेरे मन को

तुम तो माँ कुमाता नहीं,
समझो तो मेरे मन को

थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,
स्नेह अपनी झोली से तुम

है माँ बेटे का नाता,
माँ खोयी हो कहाँ तुम |

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 8, 2012 at 1:49pm

आपका हार्दिक धन्यवाद   PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी......

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 1:04pm

माता के प्रति भक्ति, श्रद्धा को नमन , बधाई.

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 7, 2012 at 9:50pm

आपका हार्दिक धन्यवाद Rekha Joshi   जी......

Comment by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 8:44pm

मनु जी ,बहुत बढ़िया पंक्तियाँ ,

तुम तो माँ कुमाता नहीं, 
समझो तो मेरे मन को ,माँ अपने बच्चे की दिल की बात जान लेती है ,अच्छी रचना पर बधाई |
Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 7, 2012 at 4:30pm

श्री मान  अलबेला  खत्री जी आपने तो मेरे शव्दो में जान डाल दिया, आपका तहे दिल से शुक्र गुजार व आभारी रहूँगा |

साथ ही संपादक महोदय से निवेदन है की, इस नये फोर्मेट को स्वीकार कर कृतार्थ करे |
Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 4:15pm

बहुत अच्छा लगा  जगदानन्द झा मनु  जी आपकी कविता बांच कर
बधाई आपको  इस रचना के लिए

____एक सुझाव है कि कृपया  प्रकाशित करने के पहले  चैक  कर लिया कीजिये .  क्योंकि कई बार टंकण में  जल्दबाजी के कारण  बहुत सी त्रुटियाँ  भी  रह जाती हैं .  साथ ही  पंक्तियों के बीच थोड़ा खाली स्थान भी रखा कीजिये  ताकि पढ़ने में आसानी हो और आकर्षक भी लगे.  मनु जी,  कविता  सब कलाओं में सुन्दर कला है .  इसलिए कविता की प्रस्तुति भी सुन्दर दिखनी चाहिए .

मैंने आपकी इस कविता में  आपकी अनुमति के बिना  कुछ बदलाव किया है ..यदि पसन्द आये तो  आप  प्रयोग कीजिये और न पसन्द आये तो इसे वापिस मेरे मुंह पर मार दीजिये
____

मैं भी कुछ सुनाऊं  तुमको,
जो ऐसी  भी शक्ति दी होती

हे माँ तेरी चरणों में,
कुछ मेरी भी अर्जी तो होती

मैं दीन हूँ माँ समझो,
पर हीन न समझा करो

सीने से न अपने सही,
चरणों से न दूर करो


मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,
समझा न तेरे मन को

तुम तो माँ कुमाता नहीं,
समझो तो मेरे मन को

थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,
स्नेह अपनी झोली से तुम

है माँ बेटे का नाता,
माँ खोयी हो कहाँ तुम |

_________सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service