For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढूंढने गया मैं खुद को
बाज़ार में
मैं न जाने कहाँ खो गया
चाँदी की खनक में
सोने की दमक में
मैं न जाने कहाँ खो गया

क्यों आया हूँ यहाँ
मैं क्या हूँ ?
मैं भूल गया
इस चमक-दमक की दुनियाँ में
मैं खुद को ही भूल गया

मैं भूल गया
मेरे हाथों में
कलम की ऐसी ताकत थी
ऊपर वाले की देन कहें
या हृदय की मेरी गागर थी

चलती थी
मेरी अश्रु स्याही से
भावो के मोती विखेरने को
समराग्नी की ताकत रखती थी
नव-निर्वाण की हुँकार भरने को

कहाँ गुम हुई
कहाँ खो गयी
मैं खुद को ही भूल गया
मेरे हाथों की वो सुनहरी कलम
मैं न जाने कहाँ खो गया |

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on July 27, 2012 at 12:21pm

 Albela Khatri जी आपका  बहुत  बहुत  हार्दिक धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 12:21pm

shaandaar kavita ........

waah !

badhaai ho badhaai !

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 25, 2012 at 11:36am

 Yogi Saraswat जी आपका  बहुत बहुत आभार 

Comment by Yogi Saraswat on June 25, 2012 at 11:10am

क्यों आया हूँ यहाँ
मैं क्या हूँ ?
मैं भूल गया
इस चमक-दमक की दुनियाँ में
मैं खुद को ही भूल गया

बहुत सुन्दर शब्द और बहुत खूब कहने का ढंग , अच्छा लगा

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 24, 2012 at 5:14pm

धन्यवाद    PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAजी,   Laxman Prasad Ladiwalaजी,   rajesh kumariजी,  Rekha Joshi जी एवं अन्य सभी आदरणीय  पाठकों का |

विशेष रूप से सौरब पण्डे जी और SANDEEP KUMAR PATEL जी का सादर आभार |
Comment by Rekha Joshi on June 24, 2012 at 11:29am

मनु जी ,
मैं भूल गया
मेरे हाथों में
कलम की ऐसी ताकत थी
ऊपर वाले की देन कहें 
या हृदय की मेरी गागर थी सुंदर प्रस्तुति पर बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2012 at 11:15am

सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर मनोभाव 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2012 at 7:05pm

 बहुत खूब भाई श्री जगदानंद झा मनुजी, आप जाने कहा खो गए,

पर मै तो आपकी रचना पढ़ते पढ़ते ही जाने कहा खो गया | 
कवी भाव में आदमी खो जाता है, फिर लौट आता है | सब खैर 
तो है ? - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 23, 2012 at 4:32pm

अब बात बनी, बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service