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क्यूँ तेरा अब ,तुझी पे इख्तियार नहीं

क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?

मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं

ज़मीर तो होगा ही दामन में तेरे
शोहरत न रहे, तू खतावार नही

वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
टिकती है खुदाई, कोई किरदार नहीं

खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

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Comment

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Comment by Nilansh on September 9, 2012 at 8:34pm

आदरणीय अशोक जी, गणेश जी ,योगराज जी आपके स्नेह और परामर्शों का आदर करता हूँ

बहुत शुक्रिया कोशिश करता रहूँगा सार्थक लेखन का  

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 7:28pm

नीलांश जी, कहन में दम है, बधाई हो |

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2012 at 6:56pm

नीलांश जी
        सादर,  बहुत समझ तो नहीं है किन्तु गजल के सारे शेर अच्छे लगे. आपके भाव मुझ तक पहुंचे. बधाई.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:08pm

बहुत खूब नीलांश जी. डॉ बाली साहिब की बात पर गौर अवश्य करें.

Comment by Nilansh on May 20, 2012 at 11:35am

rekha ji aapke sneh ka bahut aabhaari hoon

koshish  karta rahunga

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 10:49am

मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़ 
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं 

Nilansh ji sundr bhaav,bahut bahut badhai

Comment by Nilansh on May 20, 2012 at 8:08am

pradeep ji,aapka bahut aabhhar ,margdarshan karte rahen

aapke sneh ka aabhaari hoon mahima ji,bahut shukriya

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 9:39pm

क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?

वाह नीलांश जी .. आपने तो बिलकुल हिला दिया , या कहे सोते से जगा दिया .. धन्यवाद आपका

जबरदस्त प्रस्तुति ... बहुत -२ बधाई आपको

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 5:51pm
आदरणीय नीलांश  जी, सादर 

खबरों में है पर दिलों में कहाँ 
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

शानदार शेर , गजल दिल को लुभा गयी 

थी दिल में जो तस्वीर वो सामने आ गयी 

बधाई 

Comment by Nilansh on May 19, 2012 at 2:28pm

ashish ji ,rajesh ji ,surya ji bahut aabhaari hoon sneh ka

surya ji aapka bahut dhanyavad ki aapne trutiyan bataayin

maine punah koshish ki hai

...............................................

क्यूँ तेरा , तुझी पे इख्तियार नहीं? 
कठपुतली बना,  सोगवार नहीं ? 

मेहनत पसीने की रोटियाँ  तोड़ ले 
कि साथ देगा ज़माना, हर बार नहीं 

दामन में होगा ही, तेरा  वो ज़मीर 
शोहरत न हो , तू खतावार नही 

वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी 
खुदाई बस टिकेगी , किरदार नहीं 


खबरों में है पर दिलों में है कहाँ 
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

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