For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

जिये पानी बिना मछली के जैसे मन तडपता है

जिगर को थाम के बैठूं मैं अक्सर सामने तेरे

के हाले दिल सुनाने को ये पागल दिल मचलता है

मैं चातक सा फिरूँ राहों में स्वाती बूँद का प्यासा

अगर तुम ना दिखो तो हो के व्याकुल दिल तरसता है

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है

दिवाने घूमते हैं बस तेरा दीदार पाने को

हवाएँ भी हैं थम जाती दुपट्टा जब सरकता है

मेरे सागर से दिल में उठ रहीं हैं इश्क की मौजें

तुझे पाने की खातिर आँखों से सागर छलकता है

तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की

किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है

संदीप कुमार पटेल "दीप"

Views: 713

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:14pm

बढ़िया प्रयास है संदीप बाबू, दाद कुबूल करें |

Comment by Nilansh on May 17, 2012 at 10:05pm

तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की

किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है


bahut sunder  sandeep  ji

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 9:24pm

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता हैsandip ji bahut badhiya panktiyaan 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:14pm

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है
waah bahut khoob....

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:53pm

आदरणीय प्रदीप  KUMAR SINGH KUSHWAHA सर जी

सादर वन्दे

आपकी इस अनमोल प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न् हो गया सर

अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखिये

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:49pm

मैँ अपनी अगली गज़ल मेँ इस बात का ध्यान रखुंगा आदरणीय डॉ. सूर्या बाली "सूरज" सर जी

इस उत्साह वर्धन और मार्ग्दर्शन के लिये आपका आभार

सादर वन्दे

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:47pm

श्रध्येय गुरुवर Saurabh Pandey  सर आपका चरण वन्दन

आपकी इस प्रतिक्रिया से मन उत्साहित हो गया

अपना स्नेह और आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:44pm
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:42pm

aapka bahut bahut aabhari hun aadarniyaa rajesh kumari ji

apne jo meri is ghazal ko padha aur haushalafajai ki uske liye tahe dil se shukriya aapka

aapki pratkriya se utsaah doguna ho jata hai apna sneh banaye rakhiye

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:40pm

aapka hriday se dhanyvaad Bhawesh Rajpal ji ........saadar aabhar is utsaah-wardhan ke liye

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service