For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.

ज़िन्दों और परिंदों का बस एक ही पहचान है.
ना ही थकना, ना ही रुकना बस और बस उड़ान है.
एक जगह जो रुक गया तो रुक गया उसका सफ़र.
इसलिए ही अब तो मंजिल रोज़ एक मुकाम है.
कौन कहता है जहां में ज़िंदा रहना है कठिन.
आदमी में है ही क्या एक जिस्म और एक जान है.
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है.
ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
          ----- सतीश मापतपुरी

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 8, 2012 at 4:56am

ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.

बहुत सार्थक और सकारात्मक उपदेश देती रचना ! आदरणीय सतीश जी, आपको बधाई!

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:52am

आदरणीय सतीश जी सादर प्रणाम

जिंदगी की सही परिभाषा दी आपने, जिंदगी एक जंग ही तो है.
Comment by MAHIMA SHREE on April 25, 2012 at 3:15pm
ज़िन्दों और परिंदों का बस एक ही पहचान है.
ना ही थकना, ना ही रुकना बस और बस उड़ान है. ...
आदरणीय सतीश सर ,नमस्कार
वाह...... सर जीवन में होसले भरती रचना के लिए बधाई स्वीकार करे
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 12:40pm

ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी. 
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.

आदरणीय सतीश जी, सादर अभिवादन, 
प्रेणादायक सुन्दर भाव युक्त रचना. संगर्ष, जंग, जिंदगी वाह जी वाह.  बधाई.


Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 24, 2012 at 6:58am

aadarneey Satish ji Sadar namaskar, Motiyon ki ladi me ye do heere lage:

कौन कहता है जहां में ज़िंदा रहना है कठिन.
आदमी में है ही क्या एक जिस्म और एक जान है.................Ekla chalo re, Ekatmvaad :)
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है..............This is the Best; Bhuj Gujraatiyon ki yaad aati hai, jahan Bahut jyada paani na hone par bhi ekdam aage hain.

Bahut bahut badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 24, 2012 at 2:45am

मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है
इस बात का कोई जवाब नहीं है गुरुवर...!! बहुत ख़ूब...

Comment by satish mapatpuri on April 24, 2012 at 12:40am

राजेश कुमारी जी , अविनाश जी और मृदु जी आपका दिल से आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 23, 2012 at 10:46pm

ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.

हार्दिक बधाई खूबसूरत भावाभियक्ति पर

Comment by AVINASH S BAGDE on April 23, 2012 at 11:23am

मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है....realy आशा का संचार करती, आत्मशक्ति आत्मविश्वास को जगाती रचना...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 23, 2012 at 9:51am

आशा का संचार करती आत्मशक्ति आत्मविश्वास को जगाती रचना बहुत खूब सतीश मापतपुरी जी ..बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service