For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोख में ही मार दिया ?

जंग से जमीन में 

घाव बहुत होते हैं 

जख्म गर भरे भी तो 

रोम-रोम रोते हैं !

--------------------

इन्सां ने इन्सां को 

इन्सां सा प्यार दिया 

स्वर्ग धरा लाये आज 

जिन्दगी संवार लिया 

-------------------------

बेटियों ने बेटों को 

जी भर के प्यार दिया 

बेटों ने बदले में 

कोख में ही मार दिया ?

-------------------------------

गीली सी मिटटी है 

प्यारा कुम्हार 

पीट पीट ढाल रहा 

सांचे में खांचे में 

देता आकार !

-------------------------

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 15, 2012 at 8:59pm

बेटियों ने बेटों को

जी भर के प्यार दिया

बेटों ने बदले में

कोख में ही मार दिया ?

और मैं क्या कहूं ? ऊपरवाला भी देखना छोड़ दिया !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2012 at 11:01pm

बेटियों ने बेटों को 

जी भर के प्यार दिया 

बेटों ने बदले में 

कोख में ही मार दिया ?

-------------------------------

ninda karta hoon aese logon ki. badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 3:12am

शाश्वत भाव पर वैचारिक और शाब्दिक प्रयास अच्छा लगा. धन्यवाद

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 9:02pm

बड़ी ही मार्मिक अभिव्यक्ति बधाई स्वीकार करें सर 

Comment by MAHIMA SHREE on April 13, 2012 at 3:48pm
आदरणीय Admin जी व् आदरणीय भ्रमर जी ,
बहुत आभारी हूँ मेरी समस्या को समझने और मुझे ग्लानी से बचाने के लिए
धन्यवाद आप दोनों का
Comment by Admin on April 13, 2012 at 3:36pm

@महिमा जी , यथोचित सुधार कर दिया गया है ।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 3:30pm

महिमा श्री जी--जय श्री राधे ... नाम किसी का भी लिखा जाए तो क्या होता है रचना की सराहना जरुरी होती है वो आप ने  किया आप का समर्थन बेटियों के बचाव में आया मन अभिभूत हुआ ..

भ्रमर ५ 
Comment by MAHIMA SHREE on April 13, 2012 at 2:01pm

बेटियों ने बेटों को

जी भर के प्यार दिया

बेटों ने बदले में

कोख में ही मार दिया ?
आदरणीय SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी नमस्कार ,
कम शब्दों में आपने कितनी मार्मिक बात कह दी... बधाई स्वीकार करें

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 1:53pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत बड़ा प्रश्न है आप का ...सच और सटीक कथन आप का ..बेटियों से ही संसार चलता है फिर उन्हें क्यों मार रहे हैं ..काश जन जागरण हो ..लोग विरोध करें ..कुछ सुधरे 

भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 1:50pm

प्रिय सतीश जी ..कोख में ही मार दिया पर आप का समर्थन पा ख़ुशी हुयी ..काश लोग समझें जिनसे हमारा अस्तित्व है उनको तो प्यार करें ...जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service