For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात्रि का अंतिम प्रहर घूम रहा तनहा कहाँ

थी ये वो जगह आना न चाहे कोई यहाँ

हर तरफ छाया मौत का अजीब सा मंजर हुआ

घनघोर तम देख साँसे थमी हर तरफ था फैला धुआं

नजर पड़ी देखा पड़ा मासूम शिशु शव था

हुआ जो अब पराया वो अपना कब था

कौंधती बिजलियाँ सावन सी थी लगी झड़ी

कौन है किसका लाल है देख लूं दिल की धड़कन बढ़ी

देखा तनहा उसे सर झुकाए समझ गया कि उसकी दुनिया लुटी

जल रही थी चिताएं आस पास ले रही थी वो सिसकियाँ घुटी घुटी

देती कफ़न क्या कैसे देती आग थे तार तार वस्त्र और उसके भाग्य

आस थी मिले कफ़न दूँ चिता लाल को दे न सकी हाय रे दुर्भाग्य

देख दशा उस लाल की प्रक्रति भी जार जार रोई

हो न ऐसा कभी ऐ खुदा चिता/कफ़न को भी तरसे कोई

Views: 952

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 1:03pm

आदरणीय saurabh   जी, सादर अभिवादन. 

यंहां  सीखने आया हूँ. छंद , रस , अलंकार. दोहा, सवित्त , आदि के तकनीकी पक्ष का ज्ञान नहीं है.  सबकी देखा देखी मैं भी नाल ठुकवाने लगा.  भ्रमित हो गया. आत्मविश्वास कम हुआ.  कोई ये तो बताये की में कैसे सुधार लाओं.  किताबें कहाँ मिलेंगी. कौन सी किताब पढनी है.
स्नेह प्राप्त हुआ. धन्यवाद. 
Comment by MAHIMA SHREE on March 19, 2012 at 10:27am
आदरणीय प्रदीप सर,
प्रणाम
मार्मिक अभिवयक्ति!!
भाव बेहद ह्रदय विदारक है ... समाज में कितनी विसंगतियां है....मन दुखी हो गया.
badhai
Comment by Dr. Shashibhushan on March 19, 2012 at 7:31am

आदरणीय प्रदीप जी,
सादर !
आपने इस कविता को तराशने का जो आदेश दिया था, उसका पालन कर रहा हूँ -
"रात के अंतिम प्रहर में मैं अकेला था जहां,
थी अज़ब वीरानियाँ, था निपट सन्नाटा वहाँ !
मौत की मादक हँसी, अदृश्य होकर गूंजती,
भीत तन में हो रही थी, कुछ अजब अनुभूति सी !
.
एक माता पुत्र के शव को लिटाये गोद में,
शीश धरती से लगाकर रो रही थी क्षोभ से !
वस्त्र के धागे बचे थे उसकी अपनी गात पर,
क्या करे, जाए कहाँ, लाये कफ़न कुछ मांगकर !
.
देख अबला की व्यथा, चीत्कार सी मन में उठी,
बेसहारा हो गयी इस जननि की दुनिया लुटी !
हाय ! कैसी बेबसी, बेटा पडा है बे-कफ़न,
सोचती है बे-कफ़न कैसे करूँ इसको दफ़न !
.
दृश्य ऐसे मत दिखाना जिंदगी में फिर कभी,
दे न मालिक तू किसी को, हाय ! ऐसी बेबसी !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2012 at 6:15pm

इस भाव दशा को कैसे कोई सहन करे.

शब्द हों न हो विधा

बस संप्रेषण हो 

जो कुछ छाया, भर आया

जो भर आया वह निस्सृत हो

यही संसरण संप्रेषण है भाव घने हों उद्बोधन है

कहो नहीं क्या यह भी कविता ?!!

 

आदरणीय प्रदीप जी, आपकी प्रस्तुत रचना ने मुग्ध कर दिया. भाव बह चले, अन्यथा न लेंगे.

सादर बधाई इस अद्भुत चिंतन के लिये.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:42pm

आदरणीयशाही जी , सादर अभिवादन. २४ घंटा बत्ती की व्यवस्था है. लाइन जोड़े रखिये. पुनः स्वागत है रचना पर. . सराहना हेतु धन्यवाद. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:39pm

आदरणीया नीरजा  जी.  सादर ,  आपने आनंद लिया, सराहा , आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:37pm

आदरणीय राजीव जी , सादर. सराहना हेतु धन्यवाद. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:35pm

आदरणीया प्राची जी.  सादर , आपने  मर्म को समझा , सराहा. बहुत बहुत धन्यवाद .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:32pm

स्नेही वाहिद  जी. स्थिति स्पष्ट कर दी है. यंहा सिखने आया हूँ.   राह दिखाइए आभार. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 18, 2012 at 5:31pm

स्नेही अश्वनी   जी. स्थिति स्पष्ट कर दी है. यंहा सिखने आया हूँ. मार्ग दर्शन कर रचना अमर बनाने का कष्ट करें . आभार. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service