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भाई हिलाल अहमद हिलाल जी ! इस खूबसूरत नज़्म के जरिये आपने इक तवायफ की सारी जिन्दगी एक चलचित्र की तरह पेश कर दी है ! इस के लिए आपको दिली मुबारकबाद !
shukriya satsh sahab aur rohit ji..............
चन्द लम्हों के लिए लाश को जिंदा करके !
सुभान अल्लाह .................. बहुत खूब
shukriya bhai arun ji
mujhe lag raha hai ek aap hi ki sakriyata chal rahi hai obo me....baqi dost kaha gaye mere
Hilaal ji ek shaandaar rachn ke liye hardik mubaraqwaad aapko . bahut saral sahaj alfaaz men tawayaf ki dastaan bayan kar di aapne waah !!
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