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आदमी क्यों इस क़दर मग़रूर है।

क्यों वह ताक़त के नशे में चूर है
आदमी क्यों इस क़दर मग़रूर है।

गुलसितां जिस में था रंगो नूर कल 
आज क्यों बेरुंग है बेनूर है।

मेरे अपनों का करम है क्या कहूं
यह जो दिल में इक बड़ा नासूर है।

जानकर खाता है उल्फ़त में फरेब
दिल के आगे आदमी मजबूर है।

उसको "मजनूँ" की नज़र से देखिये
यूँ लगेगा जैसे "लैला" हूर है।

आप मेरी हर ख़ुशी ले लीजिये
मुझ को हर ग़म आप का मंज़ूर है।

जुर्म यह था मैं ने सच बोला "सिया"
आज हर अपना ही मुझ से दूर है।

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Comment by AVINASH S BAGDE on October 16, 2011 at 3:25pm


जानकर खाता है उल्फ़त में फरेब
दिल के आगे आदमी मजबूर है.......siyochit gazal hai...nice..

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 7:26pm

//मेरे अपनों का करम है क्या कहूं
यह जो दिल में इक बड़ा नासूर है।//


खूबसूरत शेर ! शानदार अशआर, इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई सियाजी !

Comment by Abhinav Arun on October 2, 2011 at 3:17pm

मेरे अपनों का करम है क्या कहूं
यह जो दिल में इक बड़ा नासूर है।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल .हर शेर शानदार .बहुत बहुत बधाई !!

Comment by Kailash C Sharma on September 20, 2011 at 7:10pm

मेरे अपनों का करम है क्या कहूं
यह जो दिल में इक बड़ा नासूर है।

...बहुत ख़ूबसूरत गज़ल. हरेक शेर बहुत उम्दा.

Comment by DR SHRI KRISHAN NARANG on September 20, 2011 at 4:41pm

Bahut hi sunder gazal bani hai. Jurm yeh tha main ne sach bola siya, aaj har apna hi mujh se door hai.  meri ore se aap ko abhivaadan.

Comment by Shanno Aggarwal on September 19, 2011 at 10:04pm

सिया, गजल बहुत सुंदर है..आप बहुत ही सुंदर लिखती हो...जिंदगी की कड़वी सचाई पर निर्भीकता से..बधाई है आपको.

Comment by siyasachdev on September 19, 2011 at 4:39pm

janab वीनस केशरी ji bahut bahut shukria.aapne pasand farmaya uske liye bahut shukraguzaar hun.nawazish hain aapki...salamati ho

Comment by siyasachdev on September 19, 2011 at 4:38pm

janab Saurabh Pandey ji...aapne ..pasand farmaya uske liye .tahe dil se shukriyaa ada karte hain aapka ,isse aap qubool farmaae...salamati ho

Comment by siyasachdev on September 19, 2011 at 4:37pm

janab Arun Kumar Pandey 'Abhinav ji..aapake khoobsurat comment ke liye bahut bahut shukria...nawazish hain aapki !!!salamati ho

Comment by siyasachdev on September 19, 2011 at 4:35pm

janab Brij bhushan choubey ji... bahut bahut shukria aapne pasand farmaya uske liye bahut shukraguzaar hun.nawazish hain ..salamati ho

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