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Siyasachdev's Blog (9)

तो कोई प्यार के क़ाबिल न होता

जो सीने में धड़कता दिल न होता 
तो कोई प्यार के क़ाबिल न होता॥ 

अगर सच मुच वह होता मुझ से बरहम 
मिरे दुःख में कभी शामिल ना होता॥ 

किसी का ज़ुल्म क्यूँ मज़लूम सहता 
अगर वह इस क़दर बुज़दिल न होता॥

नज़र लगती सभी की उस हसीं को
जो उसके गाल पर इक तिल न होता॥ 

ज़मीर उसका अगर होता न मुर्दा 
तो इक क़ातिल कभी क़ातिल न होता॥

:सिया: महफ़िल में रौनक़ ख़ाक होती 
अगर इक रौनक़े महफ़िल न होता॥

Added by siyasachdev on October 11, 2011 at 10:29pm — 4 Comments

हम तो बेघर हैं किधर जायेगे

जिनके घर हैं वो तो घर जायेगे
हम तो बेघर हैं किधर जायेगे

ये खुला आसमाँ हैं छत मेरी
इस ज़मीन पर ही पसर जायेगे

हम तो भटके हुए से राही है
क्या खबर है की किधर जायेगे

आपके ऐब भी छुप जायेगे
सारे इलज़ाम मेरे सर जायेगे

नाम लेवा हमारा कौन यहाँ
हम तो बेनाम ही मर जायेगे

न कोई हमनवां न यार अपना
हम तो तनहा है जिधर जायेगे

ए 'सिया' मत कुरेद कर पूछो
फिर दबे ज़ख्म उभर जायेगे

Added by siyasachdev on October 6, 2011 at 10:05pm — No Comments

रोक देता है ज़मीर आ के ख़ता से पहले

तू ज़रा सोच कभी अपनी अदा से पहले
कहीं मर जाये न इक शख्स क़ज़ा से पहले 

इस लिए आज तलक मुझ से ख़ताएँ न हुईं 
रोक देता है ज़मीर आ के ख़ता से पहले 

हो सके तो कभी देखो मेरे घर में आकर 
ऐसी बरसात जो होती है घटा से पहले 

ग़मे जानां की क़सम अश्के मोहब्बत की क़सम 
थे बहुत चैन से हम दौरे वफ़ा से पहले 

वह फ़क़त रंग ही भर्ती रही अफसानों में
सब पहुंच भी गए मंजिल पे सिया से पहले 

Added by siyasachdev on October 4, 2011 at 8:03pm — 5 Comments

मुस्कानों में अश्क छुपाती रहती हूँ॥

सब को मीठे बोल सुनाती रहती हूँ

दुश्मन को भी दोस्त बनाती रहती हूँ॥



कांटे जिस ने मेरी राह में बोये हैं

राह में उस की फूल बिछाती रहती हूँ॥ 



अपने नग़मे गाती हूँ तनहाई में 

वीराने में फूल खिलाती रहती हूँ॥ 



प्यार में खो कर ही सब कुछ मिल पाता है 

अक्सर मन को यह समझाती रहती हूँ 



तेरे ग़म के राज़ को राज़ ही रक्खा है

मुस्कानों में अश्क छुपाती रहती हूँ॥ 



दिल मंदिर में दिन ढलते ही रोज़ "सिया"

आशाओं के…

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Added by siyasachdev on October 2, 2011 at 4:59pm — 12 Comments

तहे दिल से शुक्र गुज़ार

सबसे पहले मैं आप  सबसे माफ़ी चाहती हूँ कुछ मसरूफियत की वजह से मैं ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा  आप सबके खूबसूरत कमेंट्स  का शुक्रिया अदा नहीं कर पाई , मैं आप जैसे ज़हीन लोगो के  के बारे में क्या  लिखूं...यहाँ सब के सब इतने काबिल हैं 

 …
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Added by siyasachdev on October 1, 2011 at 1:53pm — 3 Comments

जीने के बहाने आ गए

सामने आँखों के सारे दिन सुहाने आ गए 

याद हमको आज वह गुज़रे ज़माने आ गए 



आज क्यूँ उन को हमारी याद आयी क्या हुआ 

जो हमें ठुकरा चुके थे हक़ जताने आ गए 



दिल के कुछ अरमान मुश्किल से गए थे दिल से दूर 

ज़िन्दगी में फिर से वह हलचल मचाने आ गए 



ग़ैर से शिकवा नहीं अपनों का बस यह हाल है 

चैन से देखा हमें फ़ौरन सताने आ गए 



उम्र भर शामो सहर मुझ से रहे जो बेख़बर 

बाद मेरे क़ब्र पे आंसू बहाने आ गए 



हैं "सिया' के…

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Added by siyasachdev on September 21, 2011 at 2:19am — 7 Comments

ग़ज़ल

अब जो बिखरे तो फिजाओं में सिमट जाएंगे 

ओर ज़मीं वालों के एहसास से कट जाएंगे 

 

मुझसे आँखें न चुरा, शर्म न कर, खौफ न खा 

हम तेरे वास्ते हर राह से हट…

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Added by siyasachdev on September 19, 2011 at 9:25pm — 4 Comments

आदमी क्यों इस क़दर मग़रूर है।

क्यों वह ताक़त के नशे में चूर है

आदमी क्यों इस क़दर मग़रूर है।



गुलसितां जिस में था रंगो नूर कल 

आज क्यों बेरुंग है बेनूर है।



मेरे अपनों का करम है क्या कहूं

यह जो दिल में इक बड़ा नासूर है।



जानकर खाता है उल्फ़त में फरेब

दिल के आगे आदमी मजबूर है।



उसको "मजनूँ" की नज़र से देखिये

यूँ लगेगा जैसे "लैला" हूर है।



आप मेरी हर ख़ुशी ले लीजिये

मुझ को हर ग़म आप का मंज़ूर है।



जुर्म यह था मैं ने सच…

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Added by siyasachdev on September 15, 2011 at 9:10pm — 19 Comments

मैं अपनों से उम्मीद ही कम रखती हूँ

मैं हिफाज़त से तेरा दर्दो अलम रखती हूँ

और खुशी मान के दिल में  तेरा ग़म रखती हूँ।



मुस्कुरा देती हूँ जब सामने आता है कोई

इस तरह तेरी जफ़ाओं का भरम रखती हूँ।



हारना मैं ने नहीं सीखा कभी मुश्किल से

मुश्किलों आओ दिखादूं मैं जो दम रखती हूँ। 



मुस्कुराते हुए जाती हूँ हर इक  महफ़िल में

आँख को सिर्फ़ मैं तन्हाई में नम रखती हूँ 



है तेरा प्यार इबादत मेरी  पूजा मेरी 

नाम ले केर तेरा मंदिर में क़दम रखती हूँ। 



दोस्तों से न गिला है न शिकायत है…

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Added by siyasachdev on September 13, 2011 at 1:17am — 16 Comments

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