For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अन्ना आन्दोलन कार्टूनिष्ट पवन की नजर से

साभार :- हिंदुस्तान / पटना

Views: 1021

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on September 6, 2011 at 11:39am

मन को छूते व्यंग्य चित्र... बधाई...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 5, 2011 at 3:58pm

इन सभी सशक्त कार्टून को प्रस्तुत करने के लिए भाई पवन जी व भाई बागी जी दोनों को बधाई ! :-)

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on August 27, 2011 at 11:06am
"बहुत सुन्दर पवन जी , आपको  इस कार्टून के लिए बहुत बधाई*******
Comment by Abhinav Arun on August 23, 2011 at 2:12pm
दौर और हालात पर पैनी पकड़ है पवन जी की उनके कार्टून इस बात की गवाही देते हैं | बहुत सुन्दर व्यंग्य है इन चित्रों के ज़रिये | इसे इस मंच पर परोसने का पुन्य कार्य करने के लिए बागी जी को भी साधुवाद !
Comment by Shanno Aggarwal on August 23, 2011 at 3:19am

गणेश, कार्टूनिस्ट पवन जी के इन व्यंगात्मक कार्टूनों को दिखाने के लिये बहुत धन्यबाद. कितने लोगों की हालत बयां कर गये अपने कार्टूनों के जरिये. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 21, 2011 at 4:10pm

आप से सहमत हूँ सौरभ भईया, पवन जी बहुत कुछ कह जाते है अपने कार्टून्स के माध्यम से | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2011 at 2:11pm

वाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ..!!

एक से एक..

जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि.. और जहाँ न पहुँचे कवि तहाँ पहुँचे कार्टूनिस्ट.. :-)))) ..

 

Comment by Rajeev Mishra on August 21, 2011 at 1:10pm

bahut sundar chitran badahi ho bhai jee !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 21, 2011 at 12:36pm

धन्यवाद सुनीता जी |

Comment by सुनीता शानू on August 21, 2011 at 11:31am

बहुत ही मज़ेदार। पढ़कर और देखकर मज़ा आ गया। बधाई पवन जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service