For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिवमय दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

भीम, महेश्वर,  शम्भवे,  शंकर,  भोलेनाथ
गंगाधर, श्रीकण्ठ का, सबके सिर पर हाथ।१।
*
गिरिश, कपाली, शर्व ही, शिवाप्रिय, त्रिलोकेश
कृत्तिवासा, शितिकण्ठ का, हिममय है परिवेश।२।
*
वो सर्वज्ञ, परमात्मा, अनीश्वर, त्रयीमूर्ति
हवि,यज्ञमय, सोम हैं, करते इच्छा पूर्ति।३।
*
शूलपाणी , खटवांगी , विष्णुवल्लभ, शिपिविष्ट
भक्तवत्सल,  वृषांक  उग्र,  करते  हरण अनिष्ट।४।
*
तारक,  परमेश्वर,  अनघ,  हिरण्यरेता,  गणनाथ
शशि को धर शशिधर हुए, शुद्धविग्रह निज माथ।५।
*
प्रजापति, वामदेव ही, कपर्दी, विरूपाक्ष,
सुरसूदन, श्रीकण्ठ दें,  कामारी के साक्ष।६।
*
भुजंगभूषण, भर्ग,  भव, पुराराति, भगवान
गिरिधन्वा, गिरिप्रिय हुए, नीलकंठ विषपान।७।
*
रुद्र,मृड,भगनेत्रभिद् , वो अव्यग्र महादेव
पाशविमोचन, देव, हरि, कष्ट हरें स्वयमेव।८।
*
स्थाणु, दिगम्बर,भूतपति, अहिर्बुध्न्य, अष्टमूर्ति
शाश्वत, अज, खण्डपरशु, करते सब की पूर्ति।९।
*
सहस्राक्ष, सहस्रपाद जो, अपवर्गप्रद, अनन्त
पूषदन्तभित् ,  हर  वही, करें  पाप का अन्त।१०।
*
मृगपाणी, त्रिपुरान्तक, जटाधर, व्योमकेश
सदाशिव, परशुहस्त ने, धरे नित्य नव वेश।११।
*
कैलाशवासी, कवची, कृपानिधि, कालकाल
पिनाकी, ललाटाक्ष नित, जग को रहे सभाल।१२।
*
सामप्रिय  जो  स्वरमयी,  वृषभारूढ़,  कठोर
दक्षाध्वरहर, सात्विक अव्यग्र, रहते आत्मविभोर।१३।
*
विश्वेश्वर, अनेकात्मा, वीरभद्र जो गिरीश
पंचवक्त्र, दुर्धर्ष को, नमन करो नत शीश।१४।
*
शाश्वत, अव्यय, जगद्गुरू, वही अंबिकानाथ
पशुपति,  अष्टमूर्ति  अज, सब का  देते  साथ।१५।
*
जपे एक सौ आठ जो, पशुपति शिव के नाम
शशिशेखर, शम्भू  करें, सफल  सकारे काम।१६।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
( नोट- इन दोहों में महादेव के १०८ नामों को पिरोने का प्रयास किया है। )

Views: 153

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service