For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2122   2122    2122    212

बिन मेरे जब दिल तुम्हारा जीने के काबिल हुआ।
देख ले मझधार ही मेरे लिए साहिल हुआ।

जो नहीं है पास अपने उसकी बेचैनी के साथ,
उसको जाया कर दिया है जो हमें हासिल हुआ।

सामने आकर खड़ी हो जाती हैं सूरत कईं,
खुद में खुद को खोजना मेरे लिए मुश्किल हुआ।

कह नहीं पाया मैं अपने दिल की सारी बात पर,
तू मेरी ग़ज़लों में लगभग हर दफा शामिल हुआ।

वेदनाओं के सफर में साथ है तू हर घड़ी,
और तेरा महसूस होना ही मेरा कातिल हुआ।

कोई सन्नाटे में पहरा दे रहा है रात भर,
कोई यादों की तरफ से हर तरह ग़ाफ़िल हुआ।

हमने कोशिश तो बहुत की पर सफलता कब मिली,
उसने पढ़ कर कह दिया है कुछ नहीं हासिल हुआ।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on September 7, 2021 at 10:20am

आदरणीय समर कबीर साहब आपके मार्गदर्शन से सुधार करता हूँ 

सादर आभार

Comment by Samar kabeer on September 6, 2021 at 6:53am

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'बिन मेरे जब दिल तुम्हारा जीने के काबिल हुआ।
देख ले मझधार ही मेरे लिए साहिल हुआ'

मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, सुधार का प्रयास करें ।

'उसको जाया कर दिया है जो हमें हासिल हुआ'

इस मिसरे में आपको 'ज़ाया' और 'जाया' के अर्थ में कुछ अंतर नहीं लगता? आख़िर सहीह शब्द लिखना कब सीखेंगे?

'सामने आकर खड़ी हो जाती हैं सूरत कईं'

इस मिसरे का शिल्प कमज़ोर है, यूँ कर लें:-

'सामने आकर खड़ी होती हैं कितनी सूरतें'

'तू मेरी ग़ज़लों में लगभग हर दफा शामिल हुआ'

इस मिसरे में 'दफा' शब्द ग़लत है, सहीह शब्द है "दफ़'अ:" इसे 21 और 22 दोनों वज़्न पर ले सकते हैं, सुधार का प्रयास करें ।

ग़ज़ल में कई शब्द नुक़्तों के बग़ैर ग़ज़ल को मुँह चिढ़ाते लग रहे हैं ।

Comment by Chetan Prakash on September 4, 2021 at 12:10pm

आदाब, मनोज अहसास साहब, मतला, मुझे रब्त का अभाव लगा! वक़्त भी आपने ग़ज़ल को क़म दिया है, आप स्वयं बेहतर कर सकते हैं, ऐसा प्रतीत हुआ! देखिए गा! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
12 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service