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फ़र्ज़ ......

निभा दिया फ़र्ज़
संतान ने
भेजकर माँ - बाप को
वृद्धाश्रम

........................

आजकल फ़र्ज़ भी
निभाए जाते हैं
कर्ज़ की तरह

.........................

गुजर गए
गुजरना था उनको
जिन्दगी की आखिरी पायदान से
बदल कर
पुरानी नेम प्लेट अपने नाम से
निभा दिया फ़र्ज़
अपने वारिस होने का

सुशील सरना / 23-7-21

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2021 at 12:37am

आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति हेतु धन्यवाद. 

वही-वहीपन तारी है. क्षणिकाओं की सांद्रता अभिनव हुआ करे. तभी पाठकों का एकबारगी ध्यान खींचती हैं. 

Comment by Samar kabeer on July 26, 2021 at 6:27pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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