For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसी विपदा कैसा डर

सुनसान सड़क, सुनसान रात है, सुनसान सबके अन्तर्मन

कैसे विपदा आन पड़ी ये, दुख, तड़प और है उलझन ||

 

चिराग भुझ रहे हर पल, हर क्षण, लगा दो चाहे तन, मन, धन

कड़ा समाधान न मिला अभी तक, जकड़ रहा है गहरा तम ||

 

भूख, प्यास और खाली है घर, रोजी रोटी भी हो गई बंद

वायु में जैसे विष घुला है, कैसा संकट ये कैसा कष्ट ||

 

हर पीड़ित अब यही पूछता, भूख लगने पर हो बंधन

पापी-खाली पेट तो मान रहा न, कैसे इच्छापूर्ति करेगा रंक ||

 

हाथ पसारे मांग न सकते, खोने आत्म-सम्मान होता डर  

मदद करे भी तो कैसे करें, विचलित है आज हर एक मन ||

 

दया, करुणा छिप कर बैठी, जैसे मानवता गई निकल

मदद करे या खुद को बचाए, करे, दूसरों की चिंता कैसे फिक्र ||

मौलिक  व अप्रकाशित 

Views: 252

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

dandpani nahak replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"शोलों में लिपटी बर्फ़ थी झुलसा गई मुझे उस शोख़ की मगर ये अदा भा गई मुझे ऐ ज़ीस्त बोल मुझसे हुई ऐसी…"
7 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आपने ग़ज़ल ग़लत थ्रेड में पोस्ट कर दी है ।"
14 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"ख़ुश रहें ।"
15 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"सुब्ह बख़ैर ।"
16 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"ख़ुश रहें ।"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें।"
19 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी  जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें।"
30 minutes ago
dandpani nahak replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"परम आदरणीय समर कबीर साहब, प्रणाम!"
30 minutes ago
munish tanha replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"चुपके से याद आ कोई सहला गई मुझेमहबूब ये शराब तो बहका गई मुझे वाहेगुरु मुआफ़ करे आपकी खताइक सोच सिर्फ…"
2 hours ago
munish tanha replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"चुपके से याद आ कोई सहला गई मुझे महबूब ये शराब तो बहका गई मुझे वाहेगुरु मुआफ़ करे आपकी खता इक सोच…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"देखा जो ध्यान से उसे वो भा गई मुझे चलना था साथ- साथ ही जतला गई मुझे थी ख़ानदानी जन्म से समझा गई…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर ख़ूबसूरत मक़्ते के साथ ग़ज़ल मुकम्मल हुई है, "फिर से…"
2 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service