2122 2122 212
कौन कहता है खुशी मिट जाएगी?
हौसले से तीरगी मिट जाएगी।
है भरम बस धूल आँधी के समय,
शांत होते ही कमी मिट जाएगी।
चोर चोरी भी तो मिहनत से करे,
कर ले मिहनत, गंदगी मिट जाएगी।
एक होता दूसरे खातिर फिदा,
फिर कहा क्यों जिंदगी मिट जाएगी?
'बाल' कर अल्फ़ाज़ से तू दोस्ती,
तेरी तन्हा बेबसी मिट जाएगी।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर साहब सादर नमन, उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार। बाल तख़ल्लुस की जगह ही प्रयोग करता हूँ सर, सादर
जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
'बाल' क्या आपका तख़ल्लुस है?
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