For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो आशीष नया हो भारत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२२


दो आशीष  नया हो भारत
जग में और बड़ा हो भारत।१।
*
आयु बढ़े नित जितनी इसकी
उतना  और  युवा  हो  भारत।२।
*
ज्ञाता हो विज्ञान का लेकिन
साथ ही वेद पढ़ा हो भारत।३।
*
दुख  के  नाले  सब  सूखे  हों
सुख का एक किला हो भारत।४।
*
जिनके घर ढब बन्द पड़े हैं
कहते और खुला हो भारत।५।
*
उनको सबक सिखाना वीरों
जिनकी चाह डरा हो भारत।६।
*
सीमाओं का द्वन्द मिटाकर
दोनों ओर लिखा हो भारत।७।
*
करना अब विश्वास न उस पर
जिस ने खूब  छला  हो भारत।८।
*
जो माँगे अधिकार से माँगे
देने सिर्फ झुका हो भारत।९।
*
ध्येय दमन कब इसने रक्खा
करने शान्ति उठा हो भारत।१०।
*
ओजस्वी नायक हो 'मुुुसाफिर'
पलपल ओज भरा हो भारत।११।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 31, 2021 at 12:03pm

अब ठीक है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2021 at 8:53am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार । मेरा मन्तव्य आपकी बात को नकारना नहींं था । मैंने केवल हिन्दी में स्वीकार्यता की बात कही है। आपके कथनानुसार मिसरा बदलने का प्रयास किया है । कितना सार्थक है देखिएगा।

दुख के शूल सभी सूखे हों
सुख का फूल खिला हो भारत

Comment by Samar kabeer on January 30, 2021 at 4:10pm

हिन्दी क्या,बहुत से उर्दू वाले भी इसे क़िला ही लिखते और बोलते हैं,और ये वही लोग हैं जो भाषा का ज्ञान नहीं रखते,मेरा काम मंच को सहीह जानकारी देना है,बाक़ी जैसा आपको उचित लगे करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 3:57pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार।

हिन्दी में किला ही प्रचलन में है , उसी हिसाब से यहाँ लिया है । सादर..

Comment by Samar kabeer on January 30, 2021 at 3:33pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'सुख का एक किला हो भारत'

इस शैर में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है,सहीह शब्द है "क़िल'अ'' 21 देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 1:32pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 1:31pm

आ. भाई क्रिष मिश्रा जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 30, 2021 at 11:28am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, वाह, क्या ख़ूब शानदार ग़ज़ल हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 7:23pm

आ. लक्ष्मण सर, बहुत ही सरस सहज और सुखद ग़ज़ल हुई है तहे दिल से मुबारकबाद कबूल करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service