For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212 - 1122 - 1212 - (112 / 22) 

किसी की याद में ख़ुद को भुला के देखते हैं

निशान ज़ख्मों  के हम  मुस्कुरा के देखते हैं 

 

निकल तो आए हैं तूफ़ाँ की ज़द से दूर बहुत 

भँवर हैं कितने ही  जो सर उठा के देखते हैं 

चले भी आओ कि अब  इंतज़ार  होता नहीं 

कि अब ये रस्ते हमें  मुँह चिढ़ा के  देखते हैं  

ये ज़िन्दगी भी फ़ना कर दी हमने जिनके लिए 

वही  तो  हैं  जो   हमें  आज़मा के  देखते  हैं 

 

तेरी जफ़ा  के  निशाँ  सब  मिटा  दिए हमने

दिवार  नफ़रतों  की  फिर गिरा के देखते  हैं 

दबी हुई  थी जो  चिंगारी  उसको  देके  हवा 

रुमूज़-ए-इश्क़  से  पर्दा  उठा  के  देखते  हैं 

पड़ी  है  धूल  जो  बरसों  से  इस  दरीचे  में 

नुक़ूश  होंगे  वफ़ा  के   हटा  के   देखते   हैं 

जमी है बर्फ़ जो रिश्तों  के दरमियाँ कब  से

ज़रा  सी  धूप उसे भी  दिखा  के  देखते  हैं 

बचे   रहेंगे    बनेंगे    या    राख    आतिश   में 

'अमीर' अब इश्क़ में ख़ुद को जला के देखते हैं 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 1131

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 26, 2020 at 5:16pm

मुहतरम जनाब आशीष यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये दिल की गहराईयों से शुक्रिया। सादर।

Comment by आशीष यादव on August 25, 2020 at 11:59pm

सुंदर शेरों से सजी अच्छी गज़ल बनी है। बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 25, 2020 at 6:05pm

आदरणीय जनाब सुशील सरना जी ख़ाक़सार की ग़ज़ल पर आपकी आमद मेरे लिए मसर्रत की बात है, सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया जनाब।  सादर।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2020 at 8:52pm

वाह आदरणीय जी वाह खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ इस खूबसूरत गज़ल के लिए दिल से मुबारक कबूल फरमाएं सर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 22, 2020 at 8:07pm

मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और ग़ज़ल पसंद करने के लिये बहुत शुक्रिया। सादर। 

Comment by Dimple Sharma on August 22, 2020 at 7:54pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'साहब आदाब,वाह बहुत ख़ूब आदरणीय,सारे शेर बहुत ख़ूब हुए हैं, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 22, 2020 at 7:18pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी मुबारक आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया।सादर।

Comment by Samar kabeer on August 22, 2020 at 6:39pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service