2122 2122 2122 2122
वो न बोलेगा हसद की बात उसने पी रखी है
सिर्फ़ होगी प्यार की बरसात उसने पी रखी है
होश में दुनिया सिवा अपने कहाँ कुछ सोचती है
कर रहा है वो सभी की बात उसने पी रखी है
मुँह पे कह देता है कुछ भी दिल में वो रखता नहीं है
वो समझ पाता नहीं हालात उसने पी रखी है
झूठ मक्कारी फ़रेबी ज़ुल्म का तूफ़ाँ खड़ा है
क्या वो सह पायेगा झंझावात? उसने पी रखी है
जबकि सब दौर-ए-जहाँ में लूटकर घर भर रहे हों
वो लुटाता चल रहा सौगात उसने पी रखी है
आखिरी वस्ल-ए-सबा में जिक्र-ए-हिज़रत रोक लेना
उससे सँभलेंगे नहीं जज़्बात उसने पी रखी है।
आशीष यादव
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
आ. भाई आशीष जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय श्री बृजेश कुमार 'ब्रज' जी
शुक्रिया।
बहुत बढ़िया यादव जी...आपके रदीफ़ कमाल हैं...
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