For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोरोना पर छप्पय छंद में कुछ रचनाएँ

(सूत्र रोला + उल्लाला = छप्पय छंद)

लेकर लाखों पाँव, एक आया संहारी
चुप सारे दरवेश, पादरी सन्त पुजारी
जीवन गति अवरूद्ध, क्रुद्ध हों ईश्वर जैसे
नहीं किसी को ज्ञान, कटे यह विपदा कैसे
दिखे नहीं उम्मीद अब, मंदिर मस्जिद धाम से
आज सभी भयभीत हैं, कोरोना के नाम से।।1

जिव्हा का कुछ स्वाद, पड़ा हम सब पर भारी
खाया जो आहार, उसी ने दी बीमारी
पर अपना क्या दोष, चीन यह समझ न पाया
खाकर कुत्ता गिद्ध, भयंकर रोग बुलाया।।
जिससे जग गति थम गई, डर फैला अंजान सा
उसमें भी सन्देश पर, मनुज नहीं भगवान सा।।2

अब भी होती सुब्ह, तनिक पर अलसाई सी
वन उपवन की महक, मस्त मधु अमराई सी
चिड़ियाँ करतीं शोर, निडर हो मेरे छत पर
बुलबुल, मैना मोर, नृत्य करने को तत्पर
मस्त हुए वन जीव सब, पस्त भले इंसान है
समय चक्र बदलाव का, बस कुदरती विधान है।।3

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 427

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:19pm

आद0 छोटे लाल भैया जी सादर अभिवादन। आपके स्नेहमयी प्रतिक्रिया का कोटिश आभार

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:18pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। आभार आपका

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:17pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए कोटिश आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 1, 2020 at 11:50am

भाई सुरेंद्र नाथ सिंह जी आप हर विधा के मजे हुए कवि हैं आपकी इस सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 30, 2020 at 4:58pm

आ. भाई सुरेन्द्र जी, बेहतरीन छंद हुए है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 29, 2020 at 5:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी। बेहतरीन छंद।

जिससे जग गति थम गई, डर फैला अंजान सा
उसमें भी सन्देश पर, मनुज नहीं भगवान सा।।2

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
yesterday
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service